ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल

कोरोना और लाॅक डाउन ने बदला जीवन का स्वरूप

  • लाॅकडाउन बना जीवन का वरदान

  • जब भी हम लोगों को बोलते थे कि कुछ समय भगवान को याद करो तो लोग यही जवाब देते थे कि हमारे पास समय नहीं है… मैं बहुत बिजी हूं… 

नवयुग टाइम्स, भोपाल
ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
  • कठिन दौर से गुजर रही है मानव सभ्यता

वर्तमान समय मानव सभ्यता एक बेहद कठिन दौर से गुज़र रही है। ऐसा कठिन दौर जिसके भविष्य के बारे में अभी तक कुछ कहा नहीं जा सकता है। इस महामारी का भयावह रूप दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। आधी से ज्यादा दुनिया अपने-अपने घरों में कैद है। लेकिन इसका अंत कब होगा इस बारे में अभी भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। पिछले एक महीने से कोरोना ने लोगों के जीवन यापन का तरीका बदल दिया है। लोगों का खानपान, लोगों के शौक एवं लोगों की सोच बदली हुई है। प्रकृति भी अपने उन्मुक्त, स्वच्छंद रूप में नजर आ रही है। खैर देर सबेर इस त्रासदी से मानव सभ्यता जरूर उबर जाएगी, परन्तु एक प्रश्न यह है कि क्या यह परिस्थिति अचानक आई, क्या प्रकृति ने हमें कभी आगाह नहीं किया? इसका उत्तर है, लगातार महापुरूषों, प्रकृति एवं सरकार से किसी न किसी रूप में संकेत मिलने के बावजूद मनुष्य अपने ज्ञान एवं शक्ति को सर्वोच्च मान बैठा। उसे यह झूठा अभिमान हो गया कि उसकी मर्जी के बगैर इस संसार में कुछ नहीं हो सकता। परन्तु आज वही मनुष्य परिस्थिति के आगे बेबस है। क्या नेता, क्या राजनेता, क्या अभिनेता, क्या प्रशासक, क्या आम जनता सभी इस परिस्थिति के आगे नतमस्तक हैं। कोरोना तो जहां से आया है चला ही जाएगा, परन्तु एक प्रश्न यह भी है कि क्या ऐसी त्रासदी दुबारा नहीं आएगी? इन लॉक डाउन के दिनों में सभी को खूब सोचने समझनें एवं पश्चाताप के अवसर प्राप्त हुए हैं। अपनी कमियों को दूर करनें के अवसर मिलें हैं, तो साथ ही अपने अंदर के गुण एवं प्रतिभा को निखारने का अवसर भी मिला है। पारिवारिक संबंधों को मधुर बनाने एवं एक दूसरे से भावनात्मक संबंध बनाने के भी भरपूर अवसर मिले हैं। लेकिन इन अवसरों का जिसने भरपूर लाभ उठाया है, वही सच्चा मनुष्य है।
  • श्रीराम की तरह मर्यादा में रहनें का गुण सीखें

ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
लॉक डाउन के इस समय में सरकार द्वारा दूरदर्शन पर 33 वर्षों बाद प्रसिद्ध धारावाहिक “रामायण” का पुनः प्रसारण किया गया। 33 वर्षों बाद भी “रामायण” की अपार सफलता नें यह सिद्ध कर दिया कि भारत वर्ष की जनता आध्यात्मिकता एवं मर्यादापूर्ण बातों को पसंद करती है। परन्तु किंचित कारणों से वह अपनी वास्तविकता को भूल बैठी है। अब आवश्यकता है कि वह अपनें मूल स्वरूप की स्मृति में रहे। किसी भी नकारात्मकता एवं व्यर्थ बातों को अपने उपर हावी न होने दें। जैसे ”श्री राम” हर परिस्थिति में मर्यादित रहे, वैसे ही हमें भी हर परिस्थिति में संयमित एवं मर्यादित जीवन जीने की आवश्यकता होगी।
  • अचानक के लिए तैयार रहें

ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
कोरोना महामारी ने यह तो मानव को सिखा ही दिया है कि कोई भी परिस्थिति या आपदा अचानक आ सकती है। हमने देखा कि इस परिस्थिति में अनेकों लोग महीनों से किसी दूसरे स्थान पर फंसे हुए हैं। अचानक जीवन के अनेक कार्य रूक गए। अतः इस लॉकडाउन के समय का सदुपयोग कर हम अपने को इतना मजबूत बना लें कि भविष्य में अचानक आने वाली किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें।
  • खान-पान से बदलें जीवन की शैली

जैसा कि हम देख एवं सुन रहे हैं कि कोरोना महामारी का मुख्य कारण मांसाहार एवं दूषित खानपान है। आज कोई भी देश मांसाहार व दूषित खानपान को उचित नहीं ठहरा रहा है। क्योंकि मांसाहार मानव के शरीर की प्रकृति के अनुकूल नहीं है। प्रकृति ने हमे उदरपोषण हेतु अनेकों शाकाहारी पौष्टिक चीजें दी हैं। सात्विक भोजन करने से हम इस तरह की अवांछित बीमारियों से बच सकते हैं।
  • आपका कार्य दूसरों के लिए प्रेरणादायी बन जायेगा

ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
हम देख रहे हैं कि इस लॉकडाउन के समय जब बाहर सबकुछ बंद है, ऐसे समय में कुछ लोग अपनी कलाओं का सकारात्मक उपयोग करके लोगों की जीवन-रक्षा का कार्य कर रहे हैं। जैसे घर में रहकर मास्क बना रहे है, सैनिटाइजर बना रहे हैं। कुछ लोग गरीबों को भोजन करा रहे हैं, कुछ कोरोना योद्धाओं का किसी न किसी रूप में सहयोग एवं उत्साहवर्धन कर रहे हैं। अतः समय को व्यर्थ न गंवा कर अपने अंदर की कला को विकसित करेंगे तो वह अवश्य ही हमारे देश व समाज के काम आएगी।
  • ऐसी सभी बातों को पूरा करने का समय है…

ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
जीवन में हमारे सामने हमेशा समस्या रही है कि हमें समय नहीं मिलता। हम सोचते तो बहुत हैं पर उतना कर नहीं पाते। चाहे वह कार्यालय में हो, व्यापार में हो, परिवार में हो, संबंधों में हो, हमेशा ऐसा लगता था जैसे हम उतना नहीं कर पा रहे हैं, जितना सोचा है। परन्तु यह लॉकडाउन का समय ऐसी सभी बातों को पूरा करने का है, जो बहुत काल से नहीं हो पा रहा था।
  • बनाएं अपना नया स्वरूप

अक्सर हमारे जीवन कोई न कोई कमजोरी हमारे मार्ग में बाधा बन जाती थी। कई बार हम कह देते कि यह मुझसे नहीं हो पाएगा क्योंकि यह मेरा संस्कार है। मेरी आदत ही ऐसी है। चाहे वह आलस्य का स्वरूप हो या क्रोध का स्वरूप हो या ईष्या या निंदा का स्वरूप हो। यह संस्कार हमारे ऊपर हावी थे, हम चाहकर भी इनसे मुक्त नहीं हो पा रहे थे। परन्तु लॉकडाउन के इस समय में हम अभ्यास एवं श्रेष्ठ चिंतन के माध्यम से इन संस्कारों से मुक्ति पा सकते हैं एवं अपना एक नया स्वरूप बना सकते हैं।
  • लाॅक डाउन कुदरत का एक वरदान है

हम संकल्प एवं दृढ़ निश्चय करें कि कम से कम लॉकडाउन की अवधि में हम गुस्सा, निंदा एवं चिड़चिड़ापन से दूर रहेंगे।अपने अंदर की शक्तियों को पहचानें।  व्यर्थ की आदतों को हमेशा के लिए छोड़ दें। यह समय मुझे मेरे परिवर्तन के लिए वरदान रूप में मिला है।
  • लोग यही जवाब देते थे…

ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
जब भी हम लोगों को बोलते थे कि कुछ समय भगवान को याद करो तो लोग यही जवाब देते थे कि हमारे पास समय नहीं है। मैं बहुत बिजी हूं। लेकिन अब तो आप बिजी भी नहीं है और आपके पास समय भी बहुत है तो क्या सुबह शाम कुछ पल भगवान को याद करें ताकि हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो एवं हमारे जीवन से रोग, शोक, दुख, अशांति दूर हो सके।
  • प्रकृतिक सुंदरता को बरकरार रखने की चुनौति होगी

ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
इस समय हम टीवी एवं अन्य माध्यमों से देख रहे है कि नदियों का पानी निर्मल स्वच्छ हो गया है, पेड़ पौधों में सुंदर हरियाली आ गई है, पंछियों की चहचहाट सुनाई देने लगी है, तितलियां उड़ती हुई दिखाई दे रही है, जंगल के जानवर रोड पर दिखाई दे रहे हैं। दिल को सुकून देने वाली नैसर्गिक सुंदरता की छत प्रकृति ने इस समय बिखेर रखी है। हमारे सामने लॉकडाउन के बाद इस सुंदरता को बरकरार रखने की चुनौती होगी।
  • बस सोचते ही रह जाते थे…

कहते हैं यदि ‘तन’ अच्छा रहे, तो जीवन में सब कुछ अच्छा होता चला जाता है। यह बात हम अच्छे तरीके से जानते भी हैं। क्योंकि जब स्वास्थ्य अच्छा होगा, तभी हम जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर पाएंगे। हो ना हो हम जरूर सोचा करते थे कि कल से प्राणायाम, कसरत, योगा करेंगे और कल आते ही किसी और कार्य में व्यस्त हो जाते थे। बस सोचते ही रह जाते थे। परन्तु  आज हमें समय मिला है अपने सपने को पूरा करने का। एक महीने बीत भी गए हैं, क्या हमें आज भी ऐसे ही समय बिता देना चाहिए? नहीं, अब तो करना ही है, क्योंकि “अब नहीं तो कभी नहीं”।
  • जिंदगी को संवारने का सुनहरा अवसर मिला…

ब्रह्माकुमारी रीना बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज भोपाल
इस तरह यह अच्छी रीति समझने की बात है कि लॉक डाउन के बहाने हमें घर के अंदर रहकर अपनी जिंदगी को फिर से सवारने का सुनहरा अवसर मिला है। यदि हमने इस अवसर का लाभ उठाया तो निश्चित ही हमारा जीवन एक नई मंजिल  की ओर जाता दिखाई देगा, जहां सफलता हमारे कदम चूमेगी। तो अपने आप को इस कार्य हेतु समर्पित करके एक नई स्वर्णिम दुनिया का आव्हान करें।
नोटः यह लेखक के अपने विचार हैं।

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