
-
अध्यात्म के मार्ग पर सात वचनों को भूल न जाना
-
समर्पण समारोह में छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति ने मन को मोहा
नवयुग टाइम्स, प्रतिनिधि।
20 दिसम्बर 2019
रायपुर, छतीसगढ़। सत्य और निष्ठा के श्रेष्ठ मार्ग पर चलने के दृढ़ संकल्प के साथ प्रारंभ हुआ बुढ़ापारा स्थित इण्डोर स्टेडियम में शिव शक्तियों के समर्पण समारोह का आयोजन, जिसमें 34 कन्याओं ने अपने जीवन की डोर परमात्मा शिव के साथ बांधी। इन बहनों के मन में ईश्वरीय प्रेम का दिव्य आकर्षण था जो इन्हें अध्यात्म के मार्ग पर ले आया।

साक्षी होकर पार्ट बजाना सीखा दिया
ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी जी ने कहा कि भगवान हमारा साथी है जो हमें ऐसी नाॅलेज दी है जो हमें अचल-अडोल होकर पार्ट बजाना सीखा दिया। इंदौर में हमने ओमप्रकाश भाई का वण्डफुल पार्ट देखा है। उनके द्वारा की गई सेवायें अमूल्य और अविस्मरणीय है। इंदौर जोन की निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि जो कन्यायें शिव को वरणे जा रही हैं यह सभी त्याग, तपस्या और सादगी की प्रतिमूर्ति है। अब इनका जीवन मानव कल्याण के सर्वांगीण विकास के लिए सम्पूर्ण रूप से समर्पित है।

नए भारत का हो रहा है उदय
ब्रह्माकुमारी संस्थान के कार्यकारी सचिव ब्रह्माकुमार मृत्युंजय भाई ने कहा कि आज का समागम हम सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। एक तरफ 34 कन्याओं का समर्पण समारोह है तो दूसरी ओर मधुबन निवासियों का सम्मान समारोह भी है। छत्तीसगढ़ सिर्फ धान का ही कटोरा नहीं है बल्कि ज्ञान, स्नेह और प्रेम का भी कटोरा है। आज हमारा देश एक नये आयाम को छुने के लिए तैयार हो रहा है। यहां का अनुशासन और एकता अनुकरणीय है।
महत्वपूर्ण है सात वचन
प्रयागराज से आयी हुई ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी ने कहा जिस तरह शादी में सात फेरे लिए जाते हैं उसी प्रकार यहां सात वचनों की प्रतिज्ञा की जाती है। कहा जाता है कि कन्यादान सर्वोत्तम दान है। इन कन्याओं को तरासने में कमला दीदी के साथ-साथ परमात्मा का भी बड़ा योगदान है। इंदौर की ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज बहुत ही खुशी का दिन है। आज के समारोह को देखकर ऐसा लगता है जैसे आज यहां त्रिवेणी संगम हुआ हो।

मधुबन निवासियों का हुआ सम्मान
माउण्ट आबू स्थित मधुबन तपोभूमि से आए हुए ब्रह्मचारी भाईयों व बहनों का तिलक, गुलदस्ता, पगड़ी और हार पहनाकर सम्मानित किया गया। यह हमारे देश की संस्कृति की विरासत है जो हमें अतिथियों का सम्मान करना सिखाती है।

विशेष आकर्षण
- दादीजी को पवित्रता का प्रतीक स्वर्ण जड़ित मयूर भेंट किया गया।
- दादीजी ने धान से बने हुए अपने चित्र का अनावरण किया।
- छत्तीसगढ़ सेवाकेंद्र की ओर से दादी जी को विभिन्न प्रकार के धान की किस्में भेंट की गई।
- समर्पण समारोह के अवसर पर प्रस्तुत की गई नृत्य नाटिका ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।