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दादीजी कुशल प्रशासिका होने के साथ-साथ लाखों भाई-बहनों की अलौकिक मां भी थीं
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91 वर्ष की उम्र में 2007 में नियुक्त की गई थीं ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका
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दादीजी का जन्म 1916 में अविभाज्य भारत के सिंध प्रांत में हुआ था
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90 फीसदी बातें उम्र के आखिरी पड़ाव में भी मौखिक रहती थीं याद
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अध्यात्म का ध्वज लेकर दादीजी पहली बार 1970 में निकली थीं विदेश सेवा पर

- फोटो : दादीजी एक कुशल प्रशासिका होने के साथ-साथ मां का भी पार्ट बजाया
नवयुग टाइम्स, संवादाता।
27/04/2020
आबू रोड। गीता में भगवान के महावाक्य हैं – आत्मा अजर-अमर-अविनाशी है। जन्म और मृत्यु तो शरीर का होता है। इसलिए शोक नहीं करना चाहिए। इस जग में वही आत्मा युगों-युगों तक याद की जाती है जिनका जीवन अनेकों के लिए प्रेरणा का पूंज बना हो, जिसने अपने कर्म द्वारा मानव को सत्कर्म करने की प्रेरणा दी हो। ऐसा ही जीवन था ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी का। जिन्होंने अपने कर्म के द्वारा अनेकों उपलब्धियां हासिल की, एक महिला होते हुए भी दादी जी ने अध्यात्म की उन ऊंचाईयों को छुआ जिसे आज के समय में असम्भव माना जाता है।

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दादी जी का 104 वर्ष की उम्र में निधन
आध्यात्मिक युग की एक शताब्दी और महिलाओं द्वारा संचालित विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्थान ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका व स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एम्बेसडर दादी जानकी जी का 104 वर्ष की उम्र में गुरूवार देर रात 02 बजे माउण्ट आबू के ग्लोबल अस्पताल में अंतिम श्वांस ली। उनके देहांत की खबर सुनते ही पूरे विश्व में शोक की लहर छा गयी।


नारी शक्ति की प्रेरणास्रोत दादी जानकी जी का जन्म 01 जनवरी 1916 को अविभाज्य भारत के सिंध प्रांत में हुआ था। दादी जी 21 वर्ष की उम्र में ब्रह्माकुमारी संस्था के सम्पर्क में आयी और यहीं से उन्हों ने अपने आध्यात्मिक जीवन की यात्रा प्रारंभ की। उन्हें 2007 में 91 वर्ष की उम्र में संस्था की मुख्य प्रशासिका के पद पर नियुक्त किया गया था। तब से उन्होंने विश्व को अध्यात्म दर्शन के नए आयाम दिए। अपने प्रेरणादायी बोल से उन्होंने अनेकों के जीवन में अध्यात्म के रंग बिखेरे। इतना ही नहीं दादीजी के कुशल नेतृत्व में हजारों बहनों ने अपना जीवन समर्पण कर अध्यात्म के पथ को चुना।
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यादों के झरोखे से –


- जब मैं आठ साल की थी तभी मैं दादी जी के सम्पर्क में आयी। जब दादीजी 1974 में लंदन आयी थीं उस समय हम लोग वहां 12 लोग ही थे। दादीजी अनेक देशों की यात्राएं कर मानवता को शांति का संदेश देकर उन्हें परमात्मा से जोड़ती थीं।
युरोपीय सेवाकेंद्रों की संचालिका ब्रह्माकुमारी जयंति बहन
- दादीजी एक देवदूत के समान थीं जो हमेंशा हमें दादी, मां, दोस्त और मार्गदर्शक के रूप में हमारे साथ रहती थीं। वे हमेशा कहती थीं – बदलती जीवनशैली को देखते हुए छोटी-मोटी बातों से मन को विचलित नहीं करना चाहिए। वह बहुत कम बोलती थी, फिर भी उनका हर एक शब्द आशीर्वाद था। कभी-कभी कार्यकम के दौरान चुपके से मंच के पीछे जाकर बैठ जाती थीं और बाद में सामने आकर कहती थीं – शिवानी मैं तुम्हें सुनना चाहती हूं। ऐसी विनम्रता और सादगी की मूर्ति थी हमारी दादी।
ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन, राजयोग शिक्षिका व मोटिवेशनल वक्ता व नारी शक्ति अवार्ड से सम्मानित
दादीजी की उपलब्धियां
– देश में स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देने के लिए देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी ने उन्हें स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया। दादीजी के नेतृत्व में ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा पूरे भारतवर्ष में स्वछता अभियान चलाए गए।
– दादीजी को टेक्सास मेडिकल एवं साइंस इंस्टीट्यूट द्वारा विश्व की मोस्ट स्टेबल माइंड ऑफ द वल्र्ड वूमन की खिताब से नवाज गया।
– दादीजी को देश-विदेश की सेवा के दौरान कई देशों में उन्हें अन्तरराष्ट्रीय सम्मान भी दिया। इसके अलावा भारत में भी उन्हें कई अवार्ड प्रदान सम्मानित किया गया।
– अध्यात्म के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के वर्ष 2012 में विशाखापटनम के गौतम विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डॉक्ट्रेट की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया गया।
– वर्ष 2005 में अमेरिका की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के द्वारा उन्हें करेज ऑफ कशेन्स अवार्ड से सम्मानित किया गया।
– दादीजी जब भी किसी राज्य की यात्रा करती थीं तो उन्हें वहां की राज्य सरकार द्वारा विशेष अतिथि का दर्जा देकर सम्मानित किया जाता था।
दादीजी के अनमोल महावाक्य

- दादीजी अपने प्रेरणादायी बोल के द्वारा अनेकों के जीवन में खुशियों का संचार हो जाता था। वे अपने जीवन के दुख को भूलकर परमात्मा की याद की आनंद में खो जाते थे। ऐसी थी हमारी विलक्षण प्रतिभा की धनी दादीजी। वे अक्सर कहा करती थीं –
– किसी भी प्रकार के व्यर्थ चिंतन में गए माना क्यों, क्या के प्रश्नों में गए तो परमात्मा से हम दूर हो जाते हैं। मन बहुत प्रकार से सोचने वाला है, बुद्घि शांति चाहती है लेकिन मन होने नहीं देता है। बुद्घि को ज्ञान मिलता ही है मन को कंट्रोल रखने के लिए, संस्कारों को बदलने के लिए। यह ज्ञान परमात्मा ने दिया है शांत शीतल होने के लिए, इससे संस्कार शुद्घ बन जाते हैं।
– अच्छी बात स्वीकार करने के लिए दिल खुली है तो सामने वाली आत्मा भी स्वीकार कर लेती है। जैसे सवेरा होते ही सब कुछ चेंज हो जाता है, नुमाशाम होते ही वातावरण चेंज हो जाता है। ऐसे हमारी जैसी वृत्ति है, स्मृति है वह वातावरण हो जाता है। सदा खुश रहना और खुशी बांटना यह है सच्ची सेवा। खुश रहो और खुशी बांटो। -
शोक जताया
दादी जानकी के निधन पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा के अध्यक्ष ओम विड़ला, सीएम अशोक गहलोत, पूर्व सीएम रमन सिंह सहित अनेक राजनेताओं और संगठनों के पदाधिकारियों ने ट्विट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की।
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हम सबकी यादों में अमर हो गई दादी

दादीजी का पार्थिव शरीर ग्लोबल अस्प्ताल, पाण्डव भवन, ज्ञानसरोवर होते हुए आबू रोड स्थित शांतिवन परिसर में लाया गया। जहां संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी, कोषाध्यक्षा ईशू दादी, महासचिव बीके निर्वैर भाई, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई, सूचना एवं प्रसारण निदेशक बीके करूणा भाई, शांतिवन के प्रबंधक बीके भूपाल भाई, शिक्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष बीके मृत्युंजय भाई, बीके मुन्नी बहन, बीके जयंति बहन, बीके सुदेश दीदी, बीके भरत भाई, बीके जयंति बहन, ज्ञान सरोवर की निदेशिका बीके निर्मला दीदी सहित अनेक भाई-बहनों ने दादीजी को नम आंखों से श्रद्घा सुमन के पुष्प अर्पित कर श्रद्घांजली दी। इसी के साथ ही दादी पंच तत्वों में विलीन होकर हम सब की यादों में अमर हो गई।
