Breaking News
लेखिका : ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन, मोटीवेशनल स्पीकर एवं राजयोगा प्रशिक्षक, ब्रह्माकुमारीज

पॉज़िटिव सोच हमें दिलाएगी विजय – शिवानी

  • लॉक डाउन में निर्भय रहें और मानसिक स्वास्थ्य का रखें खास ध्यान

  • वायरस के डर के कारण हम कहीं डिप्रेशन का हिस्सा न बन जाए

  • थोड़ी देर का भय नैचुरल होता है लेकिन यहां तो यह जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है

  • डर और चिंता का नहीं बल्कि सकारात्मक माहौल बनाने में बने मददगार 

    ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज
  • …कोई न कोई बहुत प्यार से याद दिला ही देता है

वायरस के सम्बन्ध में हम जितनी जानकारी प्राप्त करेंगे उससे रिस्क फैक्टर और बढ़ जायेगा। भय हमारे इमोशनल हेल्थ को कमजोर कर रहा है। थोड़ी देर का भय तो नैचुरल होता है लेकिन यहां तो लगातार भय बढ़ता ही जा रहा है। जैसे मान लो हम गाड़ी में कहीं जा रहे हैं और अचानक सामने से एक गाड़ी आती है। तो इससे हमें थोड़ी देर के लिए डर लगता है, कहीं एक्सीडेंट न हो जाए। लेकिन ये भय कितनी देर का होता है? पांच मिनट, ज्यादा से ज्यादा वो आपके मन पर एक घंटा और रह जायेगा या ज्यादा से ज्यादा एक दिन आपको नहीं भूलेगा लेकिन यहां तो हमें कोई भूलने ही नहीं दे रहा है इस बात को। आप थोड़ी देर के लिए भूलने की कोशिश भी करते हैं तो दस मिनट के बाद कोई न कोई बहुत ही प्यार से आपको याद दिला ही देता है।

  • हमारे मानसिक स्वास्थ्य के स्टैटिक्स पर बहुत बड़ा असर पड़ने वाला है…

ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज

किसी चीज के बारे में अगर हम सिर्फ वही सोचेंगे और वही बोलेंगे तो वो तो हमारे मन में बैठ जाएगा। पिछले एक महीने से हम भय, चिंता, तनाव से डर-डर कर ही तो जी रहे हैं। जब ये स्थायी हो जाएगा तो इसका सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा। डब्ल्यू.एच.ओ. ने बताया है कि औसतन चार-पांच लोगों में से हर एक को डिप्रेशन के लक्षण हैं या डिप्रेशन होने के चांसेज है। ये महामारी प्रारंभ होने से पहले के आंकड़ें हैं। अभी बहुत सारे लोग हैं जो मेंटल हेल्थ इश्यू से चल रहे हैं। एंग्जायटी अटैक्स, पैनिक अटैक्स, ओसीडी, डिप्रेशन ये सब हैं। अब अचानक से ये परिस्थिति आई और हमने पूरे विश्व में भय और चिंता को नार्मल कर दिया। क्या हम एक मिनट बैठकर कल्पना कर सकते हैं कि जब ये ग्लोबल फियर और एंग्जायटी क्रियेट होगा तो वो जो चार-पांच लोगों में से एक थे वो हमारे से दो फीट की दूरी पर बैठे हुए हैं। वो वन इन फोर हमारे घर में हैं, वो वन इन फोर हमारे पड़ोसी में हैं, इस तरह दुनिया में कितने हैं। क्या हम इसकी कल्पना कर सकते हैं इसका असर उन पर क्या होने वाला है। जो बाकी के थ्री इन फोर थे जिनको डिप्रेशन के लक्षण नहीं थे। लेकिन वो ऐसी जीवन जी रहे थे कि स्ट्रेस इज नॉर्मल, एंगर इज नॉर्मल उनके ऊपर जब इतना बड़ा डर और चिंता का प्रेशर आयेगा तो वो थ्री इन फोर में से भी और एक ज्वाइन कर सकता है। इसका मतलब है जब इतना डर और चिंता स्थायी होगा तो हमारे मेंटल हेल्थ के स्टैटिक्स पर बहुत बड़ा असर आने वाला है।

  • कईयों के लिए तो यह जीवन का हिस्सा बन जाएगा…

ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन, सीनियर राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय

हम एक वायरस से बचने के बारे में तो सोच रहे हैं लेकिन उसका सोचने का तरीका इतना गलत है कि हम एक और महामारी खड़ी कर देंगे। ये वायरस निश्चित तौर पर खत्म हो जायेगा, लेकिन डिप्रेशन खत्म नहीं होगा एक-दो महीने के अंदर। क्योंकि यह हमारे मन के अंदर ट्रैवल कर रहा है। इसलिए हमें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। जब हम ये स्टैटिक्स बोल रहे हैं ना देश में इतने लोगों को ये वायरस है साथ में ये भी जोड़ो कि देश में कितने लोगों को इस टाइम डिप्रेशन है। अगर हम इसके बारे में इतना डर का और चिंता का महौल बनाएंगे तो वो जितने लोगों को डिप्रेशन है वो बढ़ जायेगा। जिनको नहीं है उनको भी होने की संभावनाएं बढ़ जायेगी। शायद कईयों के लिए तो जीवन का हिस्सा बन जायेगा।

  • क्या हम कल्पना कर सकते हैं…

ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका, ब्रह्माकुमारीज

एक चीज का ध्यान रखना है लेकिन उस चीज की डर की वजह से सारे जीवन में हम मुश्किलें नहीं ला सकते हैं। इसके लिए हमें अपनी सोच पर ध्यान रखना ही पड़ेगा। हमारी इमोशनल हेल्थ का हमारी मेंटल हेल्थ पर सीधा असर पड़ता है। कितने आंकड़े हैं देश में और विश्व में जिनको हाई ब्लड प्रेशर है। जिनको ह्दय रोग की प्रॉब्लम है, किसी को कैंसर है, किसी को डायबिटीज है। क्या हम कल्पना कर सकते हैं इमोशनल डिस्ट्रेस का हमारी इन सारी बीमारियों पर क्या असर पड़ेगा?
(यह लेखिका के अपने विचार हैं।)

Check Also

स्वस्थ व स्वच्छ समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण: कादमा में विशेष कार्यक्रम का आयोजन

🔊 Listen to this हाईलाइट्स: मानवता की ओर लौटने का मार्ग है आध्यात्मिकता: एसडीएम मनोज …

Navyug Times