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लेखिका - ब्रह्माकुमारी अंशु बहन, राजयोग शिक्षिका, रायपुर

परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढालना सीखें

  • एक नई पहल/कोरोना वैश्विक महामारी में ब्रह्माकुमारीज के रायपुर सेवाकेंद्र द्वारा एक नई सोच वेब सीरिज काआयोजन

  • राजयोग मेडिटेशन के द्वारा कर सकते हैं अपने जीवन की नई शुरूआत

  • अपनी सुबह को गुड बनाने के लिए परमात्मा की स्मृति से करें दिन का प्रारंभ

लेखिका – ब्रह्माकुमारी अंशु बहन, राजयोग शिक्षिका, रायपुर

नवयुग टाइम्स, संवादाता, रायपुर, छत्तीसगढ़।
कोरोना वैश्विक महामारी में मानव को सकारात्मक प्रेरणा देने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान के रायपुर सेवाकेंद्र द्वारा प्रतिदिन यू-ट््यूब पर एक नई सोच की ओर वेब सीरिज का आयोजन किया जा रहा है। जिसका लाभ लेकर अनेकों लोगों ने अपने जीवन को खुशियों से संवारा है। इस वेब सीरिज को सम्बोधित करते हुएराजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अंशू बहन ने कहा कि हमारा जीवन पानी के जैसा होना चाहिए। उसे जिस बर्तन में डाला जाए, वह उसी का आकार ले ले। इसी प्रकार हमें भी परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढालने की कला आनी चाहिए। हमारा पहला सिद्घान्त होना चाहिए कि एक मन, एक कार्य। यह तभी होगा जब हम अपना ध्यान एक समय में एक ही कार्य पर करेंगे। जब हम घर में आएं तो अपना सारा ध्यान घर पर ही होना चाहिए। आफिस का कुछ भी कार्य घर में याद न आए।
सुबह में जब एक बच्ची ने गुड मार्निंग किया तो हमने पूछा कि क्या आपकी मार्निंग गुड है? इस पर बच्ची ने जो जवाब दिया वह मानव मन को स्तब्ध करने वाला था। बच्ची ने बतलाया कि उसेहमेशा पढ़ाई का तनाव बना रहता है, कभी होमवर्क का तनाव रहता है, कभी परीक्षा आ जाती है, इन सभी तनावों के बीच में उसकी मार्निंग अच्छी कैसे हो सकती है! इससे साफ है कि सुबह भले ही अच्छी न हो लेकिन हम लोग नियम प्रमाण शुभ इच्छा जरूर जाहिर करते हैं। आजकल यह फैशन बन गया है। अब हमें प्रैक्टिकल में अपनी सुबह को गुड बनाना है। इसके लिए मन में जो पुरानी बातें गांठ बनकर रही हुई हैं उन्हें बाहर निकालने का पुरूषार्थ करना चाहिए। इससे मन में नया उमंग उत्साह भर जाएगा। इसे अपने जीवन का सिद्घान्त बना लें कि मुझे बीती बातों को भूल जाना है। परमात्मा को अपना साथी बना लें। हमें ईश्वर पर पूरा विश्वास रखना चाहिए। ऐसा जीवन बनाएं जिससे हमारा जीवन परमात्मा के सिवाय किसी अन्य पर निर्भर न रहे। कहा भी जाता है कि हम हिम्मत का एक कदम बढ़ाते हैं तो परमात्मा हजार कदमों से हमारे काम में मददगार होते हैं।
(लेखिका के अपने विचार हैं।)

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