हाइलाइट्स :-
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दीपावली का त्योहार देश की समृद्धि, संपन्नता और दिव्यता का प्रतीक है तभी तो भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था
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दीपावली के शुभ अवसर पर संस्था के तीनां मुख्य स्थानों सहित सभी सेवाकेंद्रों पर परमात्मा को लगाया गया भोग
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ब्रह्माकुमारी संस्था के सभी सेवाकेंद्रों पर दीप प्रज्ज्वलित कर मनाई गई अलौकिक दिवाली
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दीपावली के दिन ही ब्रह्मा बाबा ने की थी बोर्डिंग छात्रावास की स्थापना
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ब्रह्मा बाबा द्वारा स्थापित बोर्डिंग स्कूल से कन्याओं ने आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण कर त्याग, तपस्या, दिव्यता और पवित्रता की मूर्ति बनीं जिन्हें आज हम दादियों के रूप में देख रहे हैं
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यज्ञ की स्थापना के साथ दादियों के समर्पण का यादगार है दीपावली का त्योहार
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दीपराज परमात्मा के साथ दीप रानियों की रोशनी से अलोकित हो रहा है पूरा विश्व
नवयुग टाइम्स, संवादाता, राजस्थान 4-11-2021
माउण्ट आबू। दीपावली का त्यौहार भारत में बहुत ही उमंग उत्साह से मनाया जाता है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि हर त्यौहार को मनाने के पीछे इसके अनेक आध्यात्मिक पहलू होते हैं जिसे आज के समय में जनाना बहुत ही जरूरी है। कहा जाता है कि जब राधे कृष्ण का स्वयंवर हुआ और उनका नाम बदलकर श्री लक्ष्मीनारायण पड़ा तो वहां से विक्रम संवत शुरु हुई जिसकी यादगार में आज हम दीपावली का त्यौहार मनाते हैं। अब दूसरी कथा है कि जब राम ने 14 वर्षों का वनवास पूरा कर रावण का वध कर अयोध्या नगरी पहुंचे थे तब उनका दीपोत्सव से भव्य स्वागत किया गया था। इसलिए उस दिन की याद में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।
लेकिन ब्रह्माकुमारी संस्था के लिए यह त्योहार और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। ब्रह्माकुमारी संस्था के लिए दिपावली का दिन बहुत विशेष दिन है क्योंकि इसी दिन ब्रह्मा बाबा के द्वारा निराकार परमात्मा शिव ने इस यज्ञ की स्थापना की थी और इसी दिन ब्रह्मा बाबा ने 1936 में कन्याओं के लिए बोर्डिंग स्कूल की स्थापना की थी, इसी बोर्डिंग स्कूल में उन कन्याओं ने ब्रह्मा बाबा के निर्देशन में अध्यात्म की शिक्षा ग्रहण करके दिव्यता, त्याग, पवित्रता की मूर्ति बनी जिन्हें आज हम दादियों के नाम से जानते हैं और यह दीपावली का त्यौहार दादियों के भी दिव्य समर्पण का भी यादगार है। इस प्रकार हम देखते हैं कि दीपावली का त्यौहार ब्रह्माकुमारी संस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण विशेष व यादगार त्यौहार है जिसे ब्रह्माकुमारी संस्था के प्रत्येक सेवाकेंद्र पर बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन की सजावट की छटा देखते ही बनती है। यह त्योहार हमारी भव्यता, संपन्नता, समृद्धि और दिव्यता का भी प्रतीक है तभी तो भारत को सोने की सोने की चिड़िया जाता था।
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जिसकी ज्योति स्वयं परमात्मा ने जगायी है…

ब्रह्माकुमारी संस्था के मुख्यालय माउण्ट आबू स्थित पाण्डव भवन, ज्ञानसरोवर और शांतिवन में अलौकिक दिवाली मनाई गई। इस दिन संस्था के भाई-बहनों ने परमात्मा को भोग स्वीकार कराया और इसके पश्चात दीप प्रज्ज्वलित कर दिवाली मनाई गई। ज्ञानसरोवर में दीपावली का मुख्य कार्यक्रम हॉर्मनी हॉल में आयोजित किया गया। जहां बीके रूक्कमणी दीदी के द्वारा परमात्मा को भोग लगाया गया और इसके पश्चात संदेश सुनाते हुए उन्होंने कहा कि आज परमात्मा शिव अपने चैतन्य दीपकों को देखने के लिए निकले हुए थे। यह ईश्वरीय परिवार जिसकी ज्योति स्वयं परमात्मा शिव ने जगायी है। इसके साथ ही बाबा ने ज्ञान सरोवर के भाई-बहनों को विशेष याद प्यार दिया।
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दीपावली की शुभकामना दी…

ब्रह्माकुमारी संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका व ज्ञान सरोवर की डायरेक्टर डॉ.निर्मला दीदी ने सर्व को दीपावली की शुभकामना देते हुए कहा कि आज इस संस्था के विश्व के 140 देशों में सेवाकेंद्र हैं जो दादियों की निःस्वार्थ सेवा, त्याग और समर्पणता से संभव हुआ है। दादियों ने स्थापना का कार्य इतनी समपर्णता से किया है कि आज सेवा सहज हो गई है। ज्ञान सरोवर को बनाने में दादी प्रकाशमणी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान था।
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पूरे विश्व में फैल रही है दीप रानियों की रोशनी…

ब्रह्माकुमारी संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका व वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शाशि दीदी ने कहा कि दीपावली के शुभ पावन पर्व पर दीपराज परमात्मा के साथ दीप रानियों की रोशनी पूरे विश्व में चारां तरफ फैल रही है। दीपावली के शुभ पावन पर्व की संध्या पर हम परमात्मा से यही संकल्प करते हैं कि हम जल्द से जल्द संपूर्णता को प्राप्त करेंगे।
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हमें बनानी है ऐसी दुनिया…

ब्रह्माकुमारी संस्था के शिक्षा प्रभाग के उपाध्यक्ष व संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई ने दीपोत्सव के अवसर पर लाख-लाख बधाईयां देते हुए कहा आज हम दीपावली भी मना रहे हैं तो दूसरी तरफ स्थापना दिवस भी मना रहे हैं। दीपावली शांति, प्रेम, सद्भावना, पवित्रता का भी उत्सव है। उन्होंने कहा त्याग, तपस्या और सेवा देखना हो तो ज्ञान सरोवर में देखो। पवित्रता, सुख और शांति का भंडारा देखना हो तो पांडव भवन में देखो। हमें ऐसी दुनिया बनानी है जहां शांति, प्रेम, पवित्रता की सरिता प्रवाहित होती रहे। शांति, प्रेम, सद्भावना की क्रांति लाकर पूरे भारत को स्वर्ग बनाना है।
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दिखाई देता है ईश्वरीय विश्व विद्यालय का स्वरूप

माउण्ट आबू स्थित ग्लोबल हॉस्पीटल के डायरेक्टर डॉ.प्रताप मिढ्ढा ने कहा दादियों को याद करके इस त्योहार का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। दिवाली हमारे जीवन का प्रतीक है। हम जब भी ज्ञान सरोवर आते हैं तो हमें यहां ईश्वरीय विश्व विद्यालय का स्वरूप दिखाई देता है। ईश्वरीय सेवा का कार्य जब सम्पन्न होगा तब नई दुनिया की स्थापना का कार्य प्रारंभ होगा। आप स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें यही हमारी शुभकामना है।
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यहां की मिट्टी को मस्तक से लगाएंगे…

संस्था के वरिष्ठ राजयोगी भ्राता बीके सुर्य भाई ने अपनी ओजस्वी वाणी के द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा आज हम 85वीं दिवाली मना रहे हैं। अब वह दिन दूर नहीं है जब माउण्ट आबू महान तीर्थ स्थल परमात्मा की अवतरण भूमि बन जाएगा। लोग यहां की मिट्टी को मस्तक से लगाकर स्वयं को भाग्यशाली समझेंगे। इन महान आत्माओं के तेज से सारा संसार प्रकाशित हो रहा है। जब वे आत्माएं इस धरा पर थी उनकी दिव्यता, पवित्रता के वायब्रेशन पूरे विश्व को मिल रहे थे।

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ये भी रहे उपस्थित…


इस कार्यक्रम में पांडव भवन की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शीलू दीदी, बीके मोहन सिंघल, मुम्बई से आए कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.अशोक मेहता, टोली किचन के बीके आत्मप्रकाश भाई, बीके अशोक गावा सहित ग्लोबल हॉस्पीटल, पांडव भवन, शांतिवन के भाई-बहनें उपस्थित थे। आंधप्रदेश की कुमारी सिंदुरी और माधवी ने नृत्य प्रस्तुत कर सभी को भाव-विभोर कर दिया। वहीं कुमारी हर्षिता ने मोहे रंग दो लाल… गीत के बोल पर नृत्य कर सभी अतिथियों का स्वागत किया। मंच का कुशल संचालन ज्ञान सरोवर की राजयोग शिक्षिका बीके अदीति बहन ने किया।
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ज्ञान सरोवर की दिवाली का मनोरम दृश्य

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शांतिवन की दिवाली का मनमोहक दृश्य


