हाइलाइट्स –
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अपने निवास से निकलते ही दादी जी का स्वागत बैंड-बाजों की मधुर धुन से किया गया
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दादीजी के 98 वर्ष पूरे होने पर 98 बहनों द्वारा किया गया स्वागत नृत्य
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दादी जी का प्यार परमात्मा के समान निश्छल और निःस्वार्थ है
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केक से एक-दूसरे का मुख मीठा कराकर मनाया जन्मदिवस
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देशभर से आए हुए संतों ने दादी जी का किया सम्मान
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लोकेश मुनि ने कहा – नारी शक्ति ही बदल सकती है विश्व की तस्वीर
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आध्यात्मिक शक्तियों से ही विश्व का उद्धार होना है
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संस्था के भाई-बहनों ने शिवध्वज दिखाकर दादी का किया अभिवादन
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जब हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं तो पूरा विश्व एक परिवार लगता है – दादी

नवयुग टाइम्स, संवादाता, राजस्थान 25/03/2022
आबू रोड। हम सभी लोग अपना जन्मदिन तो बहुत खुशी-खुशी से मनाते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आध्यात्मिक जीवन में रहकर जन्मदिन मनाना कितनों के जीवन को परिवर्तन कर देता है, उसे आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी जी 98 वर्ष की उम्र की पड़ाव को पार कर, आज जिस मुकाम पर पहुंची है वह अनेकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने बाल्यकाल से अध्यात्म के मार्ग पर चलकर नारी को शक्ति के स्वरूप में दिखाया। दादीजी का जन्मदिन मनाने के लिए देश-विदेश से लगभग 20000 लोगों के बीच देश के नामचिन संतों ने उनका जन्मदिन मनाया और आध्यात्मिक जीवन की ढेरों बधाईयां दी। कार्यक्रम में दादी रतनमोहिनी ने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए कहा हम सभी लोग परमात्मा के बच्चे आपस में भाई-भाई हैं। आध्यात्मिक राह ही हमें सर्वोच्चता के शिखर पर पहुंचाता है। मानव जीवन का लक्ष्य ही है स्वयं को जानना और परमात्मा को जानना। जब हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं तब हमें पुरा विश्व एक परिवार की तरह लगता है।
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दादी जी के दीर्घायु होने की कामना करते हैं…
इस अवसर पर अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक डॉ लोकेश मुनि ने कहा कि नारी शक्ति ही विश्व बदल सकती है। दादी रतनमोहिनी एक ऐसी जीती जागती मिशाल है जिनकी शक्ति दुनिया बदलने में सक्षम है। आजकल माता-पिता भी अपने बच्चों को वो संस्कार नहीं दे पा रहे हैं जो संस्कार ब्रह्माकुमारी संस्था के माध्यम से पूरे विश्व को दिया जा रहा है। दादी जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया है। आज पूरे संत समाज की ओर से हम दादी जी के दीर्घायु होने की कामना करते हैं।
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दादी का आशीष लोगों पर ऐसे ही बना रहे…
कार्यक्रम में जूना अखाड़ा बोरीवली मुम्बई के जगदगुरू सूर्याचार्य कृष्णदेवानन्द गिरि जी महाराज ने कहा कि आध्यात्मिक शक्तियों से ही विश्व का उद्धार होना है। आज यह संस्थान पूरे विश्व में यह साबित कर दिया है कि जहां आसुरी स्वभाव वाले लोगों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है वहीं यह संस्थान लोगों में दैवी मूल्यों की स्थापना कर उन्हें देव समान बनाने का कार्य कर रही है। दादी को उनके जन्मदिन की बधाई देता हूं। पीठाधीश्वर श्री वाल्मिकी धाम उज्जैन श्रीश्री 1008 बाल योगी उमेश नाथ जी महाराज ने कहा कि चारो दिशाओं में ही आज नारी शक्ति की जय-जयकार हो रही है। ऐसी महान विभूतियां इस सृष्टि मंच पर रहेगी तो निश्चित तौर पर आसुरी प्रवृत्तियों का सफाया होगा। आयोध्या के पीठाधीश्वर जन्मजेय शरण महाराज ने कहा कि दादी का आशीष लोगों ने पर ऐसे ही बना रहे।

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दादीजी की ये विशेषता है…
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की महासचिव बीके निर्वेर तथा अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि दादीजी असीम उर्जा की श्रोत है। उनके अन्दर आज भी लोगों की सेवा करना और दूसरों को सत्य मार्ग दिखाना ये दादीजी की विशेषता है। वे उपराम बन हमेशा परमात्मा से विश्व शांति की प्रार्थना करती रहती है।
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सृष्टि पर दादी का रहना ही समस्त मानव जाति के लिए संजीवनी है…
कार्यक्रम में फिल्म अभिनेत्र सिमरण अहूजा तथा भाग्यश्री ने कहा कि दादी साक्षात मां है। इनके सान्निध्य में आने से ही उर्जा का संचार होने लगता है। ऐसी महान हस्तियों का सृष्टि पर रहना ही समस्त मानव जाति के लिए संजीवनी है। दादी को उनके दीर्घायु होने की कामना करती हूं।
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हम सबकी यह कामना है…
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयेागिनी बीके मुन्नी, मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करूणा, घाटकोपर सबजोन प्रभारी बीके नलिनी, जयपुर सबजोन प्रभारी बीके सुषमा, संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। इसके साथ ही उन्होंने शुभकामनायें देते हुए कहा कि हम सभी कामना करते है की दादी हम सभी के साथ हमेशा ऐसी ही बनी रहें।
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बैंड-बाजों की मधुर धुन से हुआ दादीजी का स्वागत
दादी के स्वागत में उनके आवास से शांतिवन के डायमंड हॉल तक शोभायात्रा निकाला गया। जिसमें बड़ी संख्या में बहनें अपने सिर पर कलश लेकर चल रही थी। परमात्मा शिव का ध्वज हाथ में लेकर चलते हुए भाई-बहनों का मनोरम दृश्य सहज ही सबको परमात्मा की स्मृति दिला रहा था। अपने निवास से निकलते ही दादीजी का स्वागत बैंड-बाजों की मधुर धुन से किया गया। दादी जी बग्गी को बहुत ही आकर्षक रूप से सजाया गया था।
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98 बहनों द्वारा शानदार नृत्य की प्रस्तुति…
दादी रतनमोहिनी की उम्र 98 वर्ष होने पर उनके सम्मान और स्वागत में 98 बहनों द्वारा स्वागत नृत्य किया गया। इसके साथ ही दादी के जीवनी पर गुजरात के कलाकारों द्वारा नृत्य नाटिका की भी प्रस्तुति दी गई। जिसमें दादी जी के आध्यात्मिक जीवन का सजीव चित्रण किया गया।
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केक के द्वारा मुख मीठा कराकर मनाया जन्मदिन
दादी जी के 98 वर्ष पूर्ण होने पर डायमण्ड हॉल में सभी अतिथियों के द्वारा केक काटकर एक-दूसरे का मुख मीठा कराया। सभी ने कहा हमने जन्मदिन तो बहुत मनाया परंतु यहां के जैसा हमने कभी नहीं मनाया। दादी का प्यार परमात्मा के प्यार जैसा ही निःस्वार्थ और निश्छल है। हम ऐसी दादी का जन्मदिन मनाकर धन्य-धन्य हो गए।