हाईलाइट्स:
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भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय और ब्रह्माकुमारीज के संयुक्त तत्वाधान में जल-जन अभियान का पीएम द्वारा वर्चुअली किया गया शुभारंभ
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पीएम ने कहा – नमामि गंगे अभियान पुरे विश्व में मॉडल बनकर उभर रहा है
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प्रसिद्ध् फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर ने जल संरक्षण की दिशा में किए गए कार्यों को विडियो प्रजेंटेशन के द्वारा दिखाया
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जल शक्ति मंत्री ने कहा – नमामि गंगे मिशन को दुनिया का टॉप रिस्टोरेज वाटर मिशन माना गया है
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जल संरक्षण के लिए बीके जयंति दीदी ने दिलाई शपथ
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सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंटकर किया गया सम्मानित
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राजस्थानी पगड़ी पहनाकर किया गया अतिथियों का सम्मान
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सभी अतिथियों को संस्था के कार्यकारी सचिव ब्रह्माकुमार मृत्यंजय भाई ने परमात्मा का स्मृति चिन्ह भेंटकर किया सम्मानित
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जयपुर राजपार्क से आयी हुई कुमारियों ने जल सरंक्षण को सुंदर नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया
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सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ
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पुरे कार्यक्रम के दौरान संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी भी विशेष रूप से रहीं मौजूद
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08 माह तक देशभर में चलाया जाएगा जल जन अभियान
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10 हजार कार्यक्रम करने का रखा लक्ष्य
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5000 जलाशय, कुंआ, बावड़ी के संरक्षण का लक्ष्य
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10 करोड़ लोगों तक जागरूकता संदेश पहुंचाने का लक्ष्य

नवयुग टाइम्स, संवादाता, 16-02-23
आबू रोड, राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज और भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन परिसर में स्थित डायमण्ड हॉल में जल जन अभियान का वर्चुअली शुभारंभ करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा ब्रह्माकुमारीज द्वारा जल जन अभियान ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पानी की कमी को पूरे विश्व में संकट के रूप में देखा जा रहा है। जल संकट को पूरी दुनिया गंभीरता से समझ रही है।
पीएम ने आगे कहा हमारे यहां कहा गया है मां आपो हिंसी अर्थात हम जल को नष्ट न करें। यह भावना हमारे यहां वर्षों से अध्यात्म और धर्म का हिस्सा है। इसलिए जल को देव की संज्ञा देते हैं और प्रकृति को मां मानते हैं। आज हम भविष्य की चुनौतियों के समाधान खोज रहे हैं तो हमें अतीत की उस चेतना को भी पुनः जागृत करना होगा। हमें देशवासियों में जल संरक्षण के प्रति वैसी ही आस्था पैदा करनी होगी। हमें उस विकृति को भी दूर करना होगा जो जल प्रदूषण का कारण बनती है।

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नमामि गंगे मिशन बना मॉडल
पीएम ने कहा बीते वर्षों में ऐसी नकारात्मक सोच बन गई थी कि हम जल संरक्षण जैसे बड़े कार्य कर रही नहीं सकते हैं। आज न केवल गंगा साफ हो रही है बल्कि उसकी सहायक नदियां भी साफ हो रही है। नमामि गंगे अभियान मॉडल बनकर उभर रहा है। जल प्रदूषण की तरह गिरता भू-जलस्तर भी गंभीर विषय है। पीएम ने ब्रह्माकुमारी बहनों का आह्वान करते हुए कहा कि आप ज्यादा से ज्यादा किसानों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करें। भारत की पहल पर पूरा विश्व इंटरनेशनल मिलिट्स ईयर भी मना रहा है।
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देश को 800 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत…
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि हम बारिश के पानी से मात्र 300 मिलियन क्यूबिक मीटर ही रोक पा रहे हैं। वर्तमान में देश में 750-800 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है। पचास साल पहले हमारे देश में प्रत्येक व्यक्ति के लिए पांच हजार क्यूबिक मीटर पानी उपयोग के लिए उपलब्ध रहता था जो आज घटकर 1500 क्यूबिक मीटर रह गया है। दुनिया में जिस देश में जल को जगदीश मानने की परंपरा थी। दुर्भाग्य से आज उस देश भारत में ही सबसे ज्यादा कंटेंमनेटेडेड वाटर रिसोर्सेस हैं। दुनिया के वैज्ञानिक जो पर्यावरण पर बात करते हैं, चिंता करते हैं आज वह सबसे ज्यादा डरे और सहमे हुए हैं। दुनिया में जितना पीने योग्य पानी है उसका चार फीसदी पानी भारत में है और दुनिया की 18 फीसदी आबादी है।


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सीमित हैं हमारे संसाधन…
पद्म श्री प्रसिद्ध् फिल्म अभिनेता नाना पटेकर ने कहा प्रकृति ने हमें सबकुछ दिया है लेकिन हम सबकुछ खोते जा रहे हैं। उसका इस्तेमाल सही रूप से नहीं कर पा रहे हैं। आठ साल पहले मैंने नाम फाउण्डेशन से जल संरक्षण का कार्य शुरू किया। पुराने सिरे से हम खेती करते रहेंगे तो हमें उतनी उपज नहीं मिलेगी। आज नई तौर-तरीके से खेती करने की जरूरत है लेकिन आज की युवा पीढ़ी शहर से गांवों की ओर वापिस आना ही नहीं चाहती है। हम शहरों में आकर इतने सीमित हो गए कि पड़ोस में क्या हो रहा है उसका पता नहीं चलता है। आज हम 135 करोड़ हो गए लेकिन हमारे संसाधन सीमित हैं। आज जल भी उतना ही है, धरती भी उतनी ही है लेकिन हम बढ़ते जा रहे हैं। इसे रोकना होगा। किसी की खुशी की वजह हम बनते हैं तो हमारे चेहरे पर जो मुस्कान आती है वह बहुत ही अनमोल होती है। जो चीज हमारे पास होती है उसकी कीमत नहीं होती है। दो दिन वेंटीलेटर पर रहो तब समझ में आता है कि प्रकृति ने हमें जो निःशुल्क हवा दे रही है उसका मोल नहीं समझते हैं। मंदिर में जाने के बाद हमारे अंदर जो बदलाव आता है उसकी वजह से हम मंदिर जाते हैं।

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21 शताब्दी हिन्दुस्तान की होगी..
उदयपुर से आए मेवाड़ के महाराज कुमार लक्ष्यराज सिंह ने कहा अलोचना करने वालों के कभी भी स्मारक नहीं बने हैं। मैं मेवाड़ की भूमि से आता हूं वहां वर्षों पहले से जल संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया गया था। 500 साल पहले यह काम हुए लेकिन आजादी के बाद हमने इसके महत्व को नहीं समझा। आज 70 वर्षों के बाद मोदी सरकार ने जल संरक्षण के महत्व को समझा। 21 शताब्दी हिन्दुस्तान की होगी उसका रास्ता और कहीं से नहीं इसी सोच से गुजरता है।

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आपदा को अवसर में बदलना सीखें
मुम्बई से आए प्रसिद्ध् कवि व लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा पानी, रोटी, कपड़ा और मकान का जब तक आप व्यवस्था नहीं कर लेते कि आपका जीवन संकट में है। पानी सबकी संपत्ति है यदि आप जरूरत से ज्यादा पानी खर्च करते हैं तो आप दूसरे का हक मार रहे होते हैं। बारिश में टूटी हुई छत एक आपदा है लेकिन प्रधानमंत्री की मां ने इसे एक अवसर में बदल दिया। अतीत में जो घटित हो चुका है उससे हमें सीखना चाहिए। जब पानी खत्म होगा तो मानव जीवन भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए आज जल संरक्षण की आवश्यकता है।

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जब हम आध्यात्मिकता से दूर होते हैं तब प्रकृति के तत्वों से भी दूर हो जाते हैं…
ब्रह्माकुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका बीके जयंति दीदी ने कहा समयानुसार हर बात जो आवश्यक होती है वहां पर आज पांच तत्वों का जो हलचल हो रहा है उसके लिए भगवान को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते हैं। इसके लिए हमें ही कुछ कदम उठाने होंगे। जब आध्यात्मिकता से हम दूर चले जाते हैं तब हम अपनी आत्मा से भी दूर चले जाते हैं। इसके साथ ही पांच तत्वों से भी दूर चले जाते हैं। तत्वों के साथ जब हम अपनी जिम्मेवारी का पालन करते हैं तब हम उनका दुरूपयोग नहीं करते हैं।

जैसे ही हम परमात्मा को याद करते हैं तो हमारे कर्म व्यवहार में बदलाव आता है इससे हम तत्वों को भी शांति दे सकते हैं। सबका कनेक्शन प्रकृति के पांच तत्वों के साथ है। हमें तो प्रकृति ने स्वच्छ धरती और स्वच्छ जल दिया था। लेकिन हमने इसे दूषित कर दिया है। इसे हम परमात्मा की याद से शुद्ध् बना सकते हैं। यदि हम सभी लोग मिलकर प्रकृति के पांच तत्वों को शांति का दान दे तो प्रकृति पुनः अपने मूल स्वरूप में वापिस आ जाएगी। यूएनओ ने बताया है कि आने वाले समय में पानी की कमी होगी। राजयोग मेडिटेशन के द्वारा प्रक्ति के पांच तत्वों उसमें भी जल को शांति का वायब्रेशन कैसे देना है उसकी अभ्यास कराया।
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समय की मांग है जल संरक्षण

संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई ने सभी अतिथियों का शब्दों द्वारा स्वागत करते हुए कहा कि हम आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। हम भारत को देव भूमि बनाने के लिए संकल्पबद्ध् हैं। जल संरक्षण समय की जरूरत है। हम सभी मिलकर एक दिन जरूर भारत को विश्व गुरु बनाएंगे।
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प्रदेशभर से पहुंचे दस हजार से अधिक लोगों ने ली शपथ
अभियान के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री मोदी सहित अन्य अतिथियों के सामने राजस्थान के प्रदेशभर से पहुंचे दस हजार से अधिक लोगों ने जल संरक्षण की शपथ ली। साथ ही अन्य लोगों को भी इसे लेकर जागरूक करने का संकल्प किया। मंच संचालन जयपुर की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके चंद्रकला ने किया।







