हाईलाइट्स:
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वर्ष 2001 में हुई थी सुरक्षा सेवा प्रभाग की स्थापना
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राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन दादी सहित सभी मुख्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया
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आंतरिक शक्तियों की पुनर्जागृति विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
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राज्यसभा की एडिशनल सेक्रेटरी ने कहा यहां से मैंने चार सूत्र सीखें
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डॉ.वंदना कुमार ने कहा जो सेवा हम अपने परिवार के लिए करते हैं वही भावना सर्व के प्रति होनी चाहिए
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ब्रह्माकुमारी संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा किया सम्बोधित
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बड़े बदलाव के लिए टीम वर्क जरूरी – राजयोगिनी जयंती दीदी
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मोटिवेशनल स्पीकर बीके दीपा दीदी ने कहा मेडिटेशन के अभ्यास से मेरे जीवन में बदलाव आए
नवयुग टाइम्स, संवादाता, राजस्थान
आबू रोड, राजस्थान। ब्रह्माकुमारी संस्था के सुरक्षा सेवा प्रभाग द्वारा मनमोहिनीवन स्थित ग्लोबल ऑडिटोरियम में चार दिवसीय आंतरिक शक्ति का कायाकल्प विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर किया।
राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए नईदिल्ली की राज्यसभा की एडिशनल सेक्रेटरी (एचआर) डॉ. वंदना कुमार ने कहा कि जीवन में ऐसे पल आते हैं जब हमें अपनी जान बचाते हुए साथी की जान बचानी होती है। ऐसे पल में हमें सेकंडों में निर्णय लेना होता है। हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्म्स फोर्स हैं। जब हमारी मूल भावना देश के प्रति स्ट्रांग होती तो हम विश्व में सबसे आगे होंगे। ब्रह्माकुमारीज़ एकमात्र ऐसी संस्था है जो हमें स्व चिंतन और स्व दर्शन करना सिखाती है।
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यहां से मैंने चार सूत्र सीखे…
उन्होंने आगे कहा कि यहां से मैंने चार सूत्र सीखे हैं- पहला योग, ज्ञान, धारणा और सेवा। हम रोज कुछ समय के लिए परमात्मा से योग जरूर करें। रोज ज्ञान की नई बातें सीखें। और जो ज्ञान लिया है उसे अपने जीवन में धारण करें, दिव्य गुण अपनाएं। हर एक के लिए विचार शुद्ध और पवित्र रखें। जो सेवा हम अपने परिवार के लिए करते हैं, वैसा हर एक के प्रति हमारा सेवा का भाव हो।
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बड़े बदलाव के लिए टीम वर्क जरूरी…
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संदेश में ब्रह्माकुमारीज़ की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने कहा कि बड़े बदलाव के लिए टीम वर्क जरूरी है। मन जब बैलेंस में रहता है तो हम हर कार्य सहजता से कर पाते हैं। सुरक्षा सेवा से जुड़े फील्ड में हमें बहुत कम समय में निर्णय लेना होता है, ऐसे में यदि हमारा मन शांत है और पॉजीटिव विचारों से भरपूर है और परमात्मा से जुड़ा है तो हमारा निर्णय सही होगा।
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भौतिक सुख-दुःख हमें प्रभावित नहीं करते…
अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि हम सभी एक आत्मा हैं। जब हम आत्मिक स्थिति में रहकर सेवा करेंगे तो भौतिक सुख-दुख हमें प्रभावित नहीं करते हैं।
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जीवन में सबसे जरूरी है आत्म अनुशासन…
भारतीय नौसेवा में पूर्व वॉइस एडमिरल एसएन घोरमड़े ने कहा कि जब मैंने पहली बार राजयोग मेडिटेशन का कोर्स किया तो मुझे लगा कि यह तो हमारे मन के लिए बहुत जरूरी है। इसके बाद मैं मुख्यालय माउंट आबू आया तो लगा कि यह एकमात्र संस्था है जो मानव का कल्याण कर सकती है। ब्रह्माकुमारीज़ और सेना में कुछ समानताएं हैं। सेना बाहरी दुश्मनों से हमारी देश की रक्षा करती है और ब्रह्माकुमारीज़ हमें मन के दुश्मनों से रक्षा करना सिखाती है। जीवन में सबसे जरूरी है, आत्म अनुशासन जो यहां सिखाया जाता है।
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वर्ष 2001 में हुई सुरक्षा सेवा प्रभाग की स्थापना…
वर्तमान में डीआरडीओ मुख्यालय दिल्ली में एडिशनल डायरेक्टर व भारतीय नौसेना के कैप्टन शिव सिंह ने कहा कि सुरक्षा सेवा प्रभाग की स्थापना वर्ष 2001 में की गई। इसका मकसद था कि सुरक्षा से जुड़े हमारे जवानों, अधिकारों को माइंड मैनेजमेंट और सेल्फ मैनेजमेंट के लिए तैयार करना। तब से लेकर आज तक मुख्यालय में वर्ष में दो बार राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाता है। वर्ष 2014 में बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के सभी जवानों के लिए सम्मेलन आयोजित किया गया। इसके बाद सेवा अधिकारियों के साथ उनके परिवार के लिए भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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तो जीवन बदल जाएगा…
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सुरक्षा सेवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बीके शुक्ला दीदी ने कहा कि सभी सहभागी पूरी तन्मयता के साथ सभी सेशन अटेंड करें और अपनी जीवन में इन बातों को धारण करेंगे तो जीवन बदल जाएगा।
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जयपुर की सबजोन निदेशिका राजयोगिनी बीके सुषमा दीदी ने कहा कि जब पहली बार मैं यहां आई तो मुझे लगा कि मैं ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़कर बहुत बड़ी सेवा कर सकती हूं और इस संकल्प के साथ अपना पूरा जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
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मुंबई की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका व प्रेरक वक्ता बीके दीपा दीदी ने कहा कि जब से मैं इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्टूडेंट बनी हूं तब से रोज परमात्मा के महावाक्य सुनती हूं और राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करती हूं। इससे ही मेरे जीवन में बदलाव आए। मंच का कुशल संचालन सेना के पूर्व कर्नल सती सिंह ने किया।