दक्षिण के शिवालय नाम से मशहुर है चिदंबरम मंदिर

हाईलाइटस :-

  • चिदंबरम मंदिर उन पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है, जो प्राकृतिक के पांच महत्वपूर्ण तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है

  • भारतीय नृत्य शैली भरतनाट्यम की 108 मुद्राएं अंकित है इस मंदिर में

  • 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है 7 मंजिला नटराज मंदिर

  • चिदंबरम मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसके कुल नौ द्वार और नौ गोपुरम हैं

  • सोने से बना है मंदिर का शिखर कलश

  • नटराज के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है

  • नटराज मूर्ति, भगवान शिव को भरतनाट्यम नृत्य के देवता के रूप में प्रस्तुत करती है

  • हर पत्थर और खंभे पर अंकित है भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं

  • भरतनाट्यम के कलाकारों के लिए इस जगह का विशेष महत्व है

नई राहें/अध्यात्म, नवयुग टाइम्स। हमारे देश में बहुत से प्राचीन मंदिर हैं। उन्हीं में से एक है तमिलनाडु राज्य के चिदंबरम शहर में स्थित भगवान शिव का चिदंबरम मंदिर। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्घ तीर्थ स्थल है। भारत के इतिहास में मंदिर का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। चिदंबरम में स्थित नटराज मंदिर का अलौकिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। इस मंदिर में नटराज के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस वजह से इसे चिदंबरम मंदिर या नटराज मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में कांसे से बनी कई मूर्तियां हैं। माना जाता है कि ये 10 वीं से 12 वीं सदी के चोल साम्राज्य की है। दक्षिण भारत के ग्रंथों के मुताबिक चिदंबरम मंदिर उन पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है, जो प्राकृतिक के पांच महत्वपूर्ण तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।

  • देश के शानदार आर्किटेक्चर में से एक है मंदिर की वास्तुकला

चिदंबरम मंदिर की वास्तुकला देश के शानदार आर्किटेक्चर का उदाहरण है। इसमें निर्मित कई हॉल और गोपुरम उस समय की वास्तुकला और कलात्मकता की भव्यता को दर्शाते हैं। यह उन मंदिरों में से एक है जहां शिव को प्राचीन लिंगम के स्थान पर मानव मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। चिदंबरम का अर्थ है ज्ञान का वातावरण या विचारों में रंगा हुआ मंदिर की वास्तुकला और आध्यात्मिकता परमात्मा के बीच संबंध का प्रतीक है।

  • भारतीय नृत्य शैली भरतनाट्यम की 108 मुद्राएं अंकित है इस मंदिर में

चिदंबरम मंदिर दक्षिण भारत के पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसके कुल नौ द्वार और नौ गोपुरम हैं। जो कि सात मंजिला है। मंदिर के पूर्वी भाग में बने गोपुरम में भारतीय नृत्य शैली भरतनाट्यम की 108 मुद्राएं अंकित की गई है। इन गोपुरों पर मूर्तियों तथा अनेक प्रकार की चित्रकारी का अंकन है। इनके नीचे 40 फीट ऊंचे और 5 फीट मोटे तांबे की पत्ती से जुड़े हुए पत्थर की चौखटें हैं। मंदिर के शिखर के कलश सोने के हैं। इस मंदिर की बनावट इस तरह है कि इसके हर पत्थर और खंभे पर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं अंकित है।

  • हर वर्ष होता है नृत्य महोत्सव का आयोजन

मंदिर परिसर में एक बहुत ही खूबसूरत तालाब और नृत्य परिसर भी है। यहां हर साल नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसमें देशभर से कलाकार हिस्सा लेते हैं। नटराज शिव की मूर्ति मंदिर की एक अनूठी विशेषता है। यह मूर्ति भगवान शिव को भरतनाट्यम नृत्य के देवता के रूप में प्रस्तुत करती है। शिव के नटराज स्वरूप के नृत्य का स्वामी होने के कारण भरतनाट्यम के कलाकारों में भी इस जगह का खास महत्व है।

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