हाईलाइट्स:
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क्या है डिजिटल अरेस्ट स्कैम? जानें इस नई ऑनलाइन ठगी का खतरनाक सच
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कैसे काम करता है डिजिटल अरेस्ट स्कैम? ठगों की चालाक रणनीति का खुलासा
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पीड़ितों को कैसे डराते हैं स्कैमर्स? जानें फर्जी कॉल्स और धमकी भरे मैसेज का सच
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डिजिटल अरेस्ट स्कैम से कैसे बचें? जागरूकता और सावधानी से बचाएं अपनी मेहनत की कमाई
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सरकार और सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही हैं? जानें डिजिटल ठगी पर लगाम लगाने के उपाय
नवयुग टाइम्स, संवादाता, राजस्थान
आबू रोड, राजस्थान। डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक नया ऑनलाइन धोखाधड़ी का तरीका है, जिसमें स्कैमर्स लोगों को डराते हैं कि उनके खिलाफ एक डिजिटल अरेस्ट वारंट जारी किया गया है। इसमें, स्कैमर खुद को किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी, पुलिस अधिकारी, या कानूनी अधिकारी का प्रतिनिधि बताकर पीड़ित को कॉल, मैसेज, या ईमेल भेजते हैं और कहते हैं कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो गया है। अगर उन्होंने तुरंत भुगतान नहीं किया, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम कैसे काम करता है?
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डरावना संदेश या कॉल:
स्कैमर पीड़ित को डराते हैं और बताते हैं कि उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है, और अगर उन्होंने तुरंत भुगतान नहीं किया तो उन्हें जेल भेजा जा सकता है।
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तुरंत भुगतान की मांग:
वे एक निश्चित बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट में तुरंत भुगतान करने की मांग करते हैं। भुगतान का तरीका अक्सर ऐसा होता है जिसे ट्रैक नहीं किया जा सके, जैसे क्रिप्टोकरेंसी या गिफ्ट कार्ड्स।
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कानूनी शब्दों का इस्तेमाल:
स्कैमर्स “अरेस्ट वारंट,” “कोर्ट ऑर्डर,” “लीगल नोटिस” जैसे कानूनी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं ताकि पीड़ित को डराया जा सके और यह सब असली लगे।
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इसे उदाहरण से समझें:
एक व्यक्ति को फोन कॉल आती है जिसमें एक आवाज कहती है, “हेलो! हम क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो से बोल रहे हैं। आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हो चुका है क्योंकि आपका नाम अवैध गतिविधियों में पाया गया है। अगर आप तुरंत ₹10,000 का भुगतान कर देते हैं, तो हम आपको गिरफ्तार होने से बचा सकते हैं।”
पीड़ित, जो यह सब सुनकर डर जाता है, बिना कुछ सोचे-समझे तुरंत पैसे ट्रांसफर कर देता है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचने के टिप्स:
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डरें नहीं:
अक्सर ये स्कैम डर का सहारा लेकर काम करते हैं। अगर आपको अरेस्ट वारंट का कोई भी संदेश या कॉल मिले तो तुरंत प्रतिक्रिया न दें। ऐसे मैसेज और कॉल आमतौर पर फेक होते हैं।
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कानूनी एजेंसियां कॉल नहीं करतीं:
भारत में कोई भी कानूनी एजेंसी कानूनी कार्रवाई के लिए फोन या मैसेज से भुगतान की मांग नहीं करती। अगर असली अरेस्ट वारंट होता, तो वह आधिकारिक मेल या आपके घर पर नोटिस भेजते।
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फ्रॉड कॉलर्स की पहचान करें:
अगर आपसे तुरंत भुगतान की मांग की जाती है या वे आपको डराने की कोशिश करते हैं, तो समझ लें कि यह फ्रॉड है।
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सत्यापन करें:
कभी भी किसी अज्ञात नंबर या संस्था की बात पर आँख बंद कर भरोसा न करें। हमेशा आधिकारिक वेबसाइट्स, ईमेल्स, और फोन नंबर से सत्यापन करें।
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संवेदनशील जानकारी न दें:
स्कैमर्स अक्सर आपकी व्यक्तिगत जानकारी माँगते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी, जैसे OTP, बैंक डिटेल्स, या आईडी प्रूफ न दें।
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जागरूकता फैलाएँ:
डिजिटल अरेस्ट स्कैम के बारे में अपने परिवार, दोस्तों और आस-पड़ोस में जागरूकता बढ़ाएँ ताकि वे भी इनसे बच सकें।
सारांश:
डिजिटल अरेस्ट स्कैम सिर्फ डर का इस्तेमाल करके आपसे पैसे निकलवाने का एक तरीका है। ऐसे किसी भी कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें, जो आपसे तुरंत भुगतान की मांग करे। इस प्रकार, थोड़ी सी समझदारी और जागरूकता से आप ऐसे धोखाधड़ी से प्रभावी रूप से बच सकते हैं।