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पिम्परी-चिंचवड महानगरपालिका की ओर से दादीजी का किया गया सम्मान
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दादीजी के अशीर्वचन सुनने के लिए उमड़ा जन सैलाब
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पिम्परी सेवाकेंद्र के 25 वर्ष पूर्ण होने पर बालाजी लान में किया गया समारोह का आयोजन
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तिलक, पुष्प गुच्छ व साफा पहनाकर किया गया सभी अतिथियों का स्वागत


नवयुग टाइम्स, संवादाता।
27/02/2020
पिम्परी, पुणे। ब्रह्माकुमारी संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका व युवा प्रभाग की अध्यक्षा दादी रतनमोहिनी जी के महाराष्ट्र के प्रसिद्घ औद्योगिक शहर एवं परियों की नगरी के नाम से मशहुर पिम्परी पहुंचने पर स्थानीय नागरिकों व संस्था के भाई-बहनों के द्वारा भव्य स्वागत किया गया।
दादीजी के स्वागत के लिए नैन बिछाए परियों की वेशभूषा में सजे छोटे-छोटे बच्चे एवं स्वागत नृत्य करती हुई बालिकाओं ने सभी का मन मोह लिया। दादीजी के स्वागत के लिए नवनिर्मित दिव्य ज्योति भवन को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया गया और रंगोली बनाई गई।




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शिलापट्टीका का किया अनावरण

दादीजी ने मुख्य अतिथियों के साथ रिबन काटकर दिव्य ज्योति भवन का उद्घाटन किया और अपने कमलहस्तों से शिलापट्टीका अनावरण किया। इसके साथ ही दादीजी ने सभी अतिथियों के साथ मिलकर शिवध्वजा रोहण किया और भवन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपनी शुभकामानाएं व्यक्त की। दादीजी ने केक काटकर सभी का मुख मीठा कराया और पिम्परी सेवाकेंद्र के 25 वर्ष पूर्ण होने पर दीप प्रज्जवलित कर सभी को रजत जयंति समारोह की शुभकामानाएं दी।

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पिम्परी महानगरपालिका की ओर से किया गया भव्य स्वागत

रजत जयंति समारोह और दिव्य ज्योति भवन के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन पिम्परी चिंचवड कोआपरेशन के बालाजी लान में किया गया। जहां पिम्परी चिंचवड महानगपालिका के सदस्यों की ओर से दादीजी को प्रशस्ति पत्र व मेमोन्टों भेंटकर स्वागत किया और कहा कि दादीजी ने हमें जो प्रेरणा दी है उसे हम जरूर पूर्ण करेंगे और अपने अंदर दिव्य गुणों का विकास करेंगे। दादीजी के पिम्परी आगमन पर हम सभी लोग दादीजी को ह्दय से आभार प्रगट करते हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि हमें दादीजी से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिकों के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक भी उपस्थित थे।

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पुस्तिका का किया अनावरण

पिम्परी सेवाकेंद्र के 25 वर्ष पूर्ण होने पर सेवाकेंद्र की ओर से की गई समाज के विभिन्न वर्गों की सेवाओं को पुस्तिका के माध्यम से दिखाया गया। जिसका अनावरण दादीजी के कमलहस्तों द्वारा किया गया। यह पुस्तिका अपने आपमें एक मिसाल है कि किस तरह गीतापाठशाला से प्रारंभ हुआ यह स्थान आज वट वृक्ष बनकर दिव्य ज्योति भवन के रूप में खड़ा है। यह पुस्तिका उन भाई-बहनों के त्याग और तपस्या की कहानी है जिन्होंने रात-दिन की परवाह किए बिना मानव सेवा में तत्पर रहें। और अनेकों को आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी।






