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बाबा फरीद की नगरी से निकले अनमोल रत्नों का मधुबन में हुआ सम्मान।

स्वर्ण जयंती महोत्सव ने रचा इतिहास

हाइलाइट्स :-

  • बाबा फरीद की नगरी में आध्यात्मिक सेवाओं के 50 वर्ष पूर्ण होने पर मनाया डायमंड जुबली कार्यक्रम

  • ब्रह्माकुमारी ऊषा दीदी ने सुनाई 1972 की यादें

  • सन् 1972 में एक छोटे से कमरे से प्रारंभ हुआ अध्यात्म का यह छोटा पौधा 2021 आते-आते विशाल वट वृक्ष के रूप में हम सभी के सामने खड़ा है

  • 175 शिव-शक्तियों के संगठन से बना है फरीदाबाद सेवाकेंद्र

  • गोल्डन जुबली समारोह के अवसर पर 50 वर्षों की सेवाओं की डाक्यूमेंट्री दिखायी गई

  • फरीदाबाद सेवाकेंद्र ने मधुबन को दिए 25 अनमोल रत्न

  • ब्रह्माकुमार भूपेन्द्र भाई की बधाई की गीतों ने बांध दिया समां

  • सूफी की नगरी से पधारे सभी अनमोल रत्नों का किया गया सम्मान

  • प्रभू की स्मृति और गणेश वंदना से हुआ गोल्डन जुबली समारोह का आगाज

  • केक कटिंग कर एक-दूसरे का मुख मीठा कराया 

मंच पर उपस्थित हैं सभी आमंत्रित अतिथि।
मंच पर उपस्थित हैं सभी आमंत्रित अतिथि।

नवयुग टाइम्स, संवादाता, 07 अगस्त 2021
आबू रोड। बाबा फरीद की नगरी के नाम से मशहूर फरीदाबाद में ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा ब्रह्माकुमारी शुक्ला दीदी के निर्देशन में सन् 1972 में शुरू की गई आध्यात्मिक सेवाओं के 50 वर्ष पूर्ण होने पर संस्था के मुख्यालय आबू रोड में स्वर्ण जयंती महोत्सव का आयोजन किया गया। यह कारवां अनेक पड़ावों को पार करते हुए स्वर्ण जयंती महोत्सव तक पहुंचा। इस अवधि के दौरान फरीदाबाद सेवाकेंद्र द्वारा 50 से अधिक सेंटर खोले गए और पूरे शहर में तथा आस-पास के गांवों में 500 से अधिक गीतापाठशालाएं चलायी जाती हैं। जहां हजारों लोग प्रतिदिन ज्ञान स्नान कर अपने आपको पावन बना रहे हैं। यह सूफी संत की धरनी होने के कारण यहां अध्यात्म का प्रकाश सतत प्रवाहित होता रहता है। वर्तमान समय यह कार्य ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा 175 समर्पित टीचर बहनों के माध्यम से किया जा रहा है। संस्था के मुख्यालय में आयोजित इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए फरीदाबाद से अनेक विशिष्ट व सम्माननीय अतिथियों ने भाग लिया। प्रभू स्मृति और गणेश वंदना के साथ प्रारंभ हुआ यह कार्यक्रम अनेक पड़ावों को पार करते हुए केक कटिंग और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समाप्त हुआ।

गोल्डन जुबली समारोह का केक कटिंग कर एक-दूसरे का मुख मीठा करते हुए सभी वरिष्ठ भाई व बहनें।
  • आध्यात्मिक ज्ञान से मिलती है सच्ची शांति – दादी

गोल्डन जुबली समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी।

गोल्डन जुबली समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने अपनी शुभकामना देते हुए कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान से ही मानव को सच्ची शांति मिलती है। फरीदाबाद प्रारंभ से ही आध्यात्मिक धरनी होने के कारण वहां सतत् अध्यात्म की गंगा प्रवाहित होती रहती है। हमारी शुभकामना है कि पूरे विश्व को जल्दी से जल्दी परमात्मा का संदेश मिले और सारी आत्माएं पावन बनकर अपने घर को जाएं। अब यह कलियुग पूरा हो रहा है, अब सतयुग आने वाला है।

  • मूल चीज है तपस्या

स्वर्ण जयंती महोत्सव को सम्बोधित करते हुए संस्था के अतिरिक्त मुख्य सचिव ब्रह्माकुमार बृजमोहन भाई।

संस्था के अतिरिक्त महासचिव ब्रह्माकुमार बृजमोहन भाई ने कहा कि आगे बढ़ने का कोई शार्टकट नहीं होता है। नियम मर्यादाओं का पालन करने वाली आत्मा कभी भी शार्टकट नहीं अपनाती है। तपस्या ही हमारी मूल चीज है। उन्होंने बताया कि गोल्डन जुबली का अर्थ होता है कि हम सभी आत्माएं गोल्डन स्टेज पर पहुंच गए हैं।

  • लॉकडाउन में सकाश देने की सेवा की – मुन्नी

स्वर्ण जयंती महोत्सव को सम्बोधित करते हुए संस्था की सह-मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी मुन्नी दीदी।

संस्था की सह-मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी मुन्नी दीदी ने अपनी शुभकामना देते हुए कहा आज का दिन बहुत ही शुभ और महान है। लम्बे समय के अंतराल के बाद हम सभी लोग इक्ट्ठे हुए हैं। कोरोना के समय में भी हम लोगों ने भले ही स्थूल रूप से सेवाएं नहीं की लेकिन मनसाः शक्ति के द्वारा पूरे विश्व को शांति का सकाश देने की सेवा की है।

  • पूरे हरियाणा में फैला अध्यात्म का पौधा

स्वर्ण जयंती महोत्सव को सम्बोधित करते हुए हरी नगर सेवाकेंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी शुक्ला दीदी।

हरी नगर सेवाकेंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी शुक्ला दीदी ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि सन् 1982 में पहला स्वर्णिम संसार मेले का आयोजन किया गया था। जिसमें हजारों लोगों को परमात्मा का संदेश दिया गया। यह वो बीज था जो पूरे हरियाणा में फैला और अध्यात्म का पौधा अलोकित होने लगा।

  • जिसका उद्घाटन करने स्वयं दादी आयी..

स्वर्ण जयंती महोत्सव को सम्बोधित करते हुए फरीदाबाद सेवाकेंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी ऊषा दीदी।

फरीदाबाद सेवाकेंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी ऊषा दीदी ने सभी अतिथियों का शब्दों से स्वागत करते हुए कहा कि जब मैं फरीदाबाद आयी थी तब यहां कोई भवन नहीं था। हम एक ही कमरे में सोते थे और उसी में सुबह में मुरली क्लास चलती थी। समय के इस कठिन दौर को हमने पेपर समझकर पार किया। इसी त्याग और तपस्या का फल है कि सन् 1988 संस्था का पहला भवन बनकर तैयार हुआ। जिसका उद्घाटन करने के लिए स्वयं दादी आयी थी।

मधुबन से ईश्वरीय सौगात भेंट करते हुए संस्था की सह-मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी मुन्नी दीदी।
मधुबन से ईश्वरीय सौगात भेंट करते हुए संस्था की सह-मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारी मुन्नी दीदी।
  • अनमोल रत्नों का हुआ सम्मान

सुफी की नगरी ने मधुबन में आध्यात्मिक सेवाओं के लिए अपने 25 अनमोल रत्न दिए हैं। जो आजीवन ब्रह्मचर्य की शपथ लेकर इस आध्यात्मिक कारवां को आगे बढ़ा रहे हैं। गोल्डन जुबली कार्यक्रम के साथ ही सर्वप्रथम इन अनमोल रत्नों का तिलक, बैज, गुलदस्ता, पगड़ी, चुन्नी आदि पहनाकर सम्मानित किया गया।

बाबा फरीद की नगरी से निकले अनमोल रत्नों का मधुबन में हुआ सम्मान।

  • बधाई की गीतों ने कर दिया भाव विभोर

गोल्डन जुबली समारोह में बधाई गीत गाते हुए शांतिवन बिजली विभाग के ब्रह्माकुमार भूपेन्द्र भाई।

स्वर्ण जयंती महोत्सव का आगाज ब्रह्माकुमार भूपेन्द्र भाई की बाधाई की गीतों से हुआ। जो लोगों के चेहरे पर खुशी की एक मुस्कान बिखेर दी। उनके गीत के बोल थे – खुशियों का गीत गाते चलो….. मिलन प्रभू से मनाते चलो….। इसके बाद तो बधाई की गीतों का तांता ही लग गया। बीके युगरत्न भाई के गीतों ने समां बांध दिया तो वहीं मधुर वाणी ग्रुप ने अपने सुर के द्वारा लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

  • प्रभू स्मृति से हुआ कार्यक्रम का आगाज

गोल्डन जुबली समारोह का प्रारंभ दैवी संस्कृति की परंपरा के अनुसार प्रभू स्मृति की गीतों से हुआ। जो एक क्षण के लिए लोगों को प्रभू की स्मृति करा गया। इसके पश्चात देवों में प्रथम पूज्य श्रीगणेश की वंदना के साथ ही प्रारंभ हुआ गोल्डन जुबली समारोह का रंगारंग कार्यक्रम।

गोल्डन जुबली समारोह में भाग लेने के लिए पधारे हुए आमंत्रित अतिथि।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांध दिया समां

गोल्डन जुबली के अवसर पर फरीदाबाद सेवाकेंद्र द्वारा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। जो भारत की विविधता में एकता की छवि को दर्शा रहा था। भारत देश की संस्कृति की यह विशेषता है कि कोई व्यक्ति किसी भी राज्य का रहने वाला हो वह एकता के सूत्र में पिरो ही जाता है। इसीलिए भारत को सभी संस्कृति की जननी कहा जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए फरीदाबाद की कुमारियां।

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