हाइलाइटस –
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विदिशा जिले के उप-कारागार में कैदियों के जीवन में सुधार लाने हेतु संस्था द्वारा चलाया जा रहा है साप्ताहिक पाठ्यक्रम
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जिले के उप-करागार में ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा की गई अभिनव पहल
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मैं खुद सात वर्षों से राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कर रहा हूं – एडीजे
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उप-कारागार में ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा दी गई जीवन मूल्यों की शिक्षा
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राजयोग मेडिटेशन द्वारा उप-करागार में जीवन परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया
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नैतिक मूल्य अपराध मुक्त जीवन की पहली सीढ़ी
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अध्यात्मिक शिक्षा से कैदियों के व्यवहार में दिखने लगे बदलाव
नवयुग टाइम्स, संवादाता, भोपाल की विशेष रिपोर्ट
विदिशा, म.प्र.। ब्रह्माकुमारी संस्था के स्थानीय सेवाकेंद्र द्वारा विदिशा जिले के उप-कारागार में कैदियों के मानसिक परिवर्तन व चरित्र निर्माण हेतु सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन का कोर्स प्रारंभ किया गया। इस अवसर पर कैदी भाइयों को सम्बोधित करते हुए अतिरिक्त जिला न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा ने कहा आप इसे जेल नहीं बल्कि सुधार गृह समझे। ब्रह्माकुमारी बहनों के द्वारा आपको नियमित रूप से राजयोग मेडिटेशन और जीवन मूल्यों की शिक्षा दी जाएगी। जिससे आपके जीवन में सुधार आएगा और जीवन जीने की कला सीखेंगे। जब आप यहां से जाएंगे तब आपके जीवन में एक नया सवेरा आयेगा। जो आपको मूल्यनिष्ठ बनकर जीवन जीना सीखायेगा। आगे उन्होंने कहा हम स्वयं भी सात वर्षों से राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कर रहा हूं और आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा ले रहा हूं। जिससे हमारे जीवन शैली में भी सुधार हो रहा है।

सेवाकेंद्र संचालिका बीके रेखा बहन ने कहा हमारा जीवन दूसरों को प्रेरणा देने वाला होना चाहिए। जब हमारे अंदर सकारात्मक बदलाव आता है तो इसका सबसे पहले प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। आध्यात्मिक शिक्षा न होने के कारण ही मानव अनेक प्रकार के कर्म करता है। जिसका फल हमें भुगतना ही पड़ता है। आप सबके जीवन में परिवर्तन लाने के लिए यह कोर्स यहां प्रारंभ किया गया है। हमारी शुभभावना है कि आप जल्द से जल्द स्वयं के अंदर सुधार लावें जिससे कि आपके परिवार वालों को खुशी मिल सके।

भोपाल से आयी हुई बीके नंदिनी बहन ने संस्था का परिचय देते हुए कहा चरित्र निर्माण की पहली सीढ़ी आध्यात्मिकता है। अध्यात्म हमें सही और गलत की पहचान करना सीखाता है।
कार्यक्रम के अंत में बीके रूक्कमणी बहन ने राजयोग के द्वारा गहन शांति की अनुभूति कराई और उन्हें जीवन परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही उन्होंने चित्रों के माध्यम से दिव्य गुणों की विशेषता व उसकी अनुभूति करायी।
