
हाईलाइट्स –
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हम अपनी स्वर्णिम इतिहास की विरासत को भगवद्गीता के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं
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भगवद्गीता महासम्मेलन के साथ गीता के रहस्यों को समझने के लिए गीता ज्ञान प्रदर्शनी भी लगाई गयी
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गीता ज्ञान प्रदर्शनी का आरिफ मोहम्द खान ने रिबन काटकर और दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घाटन
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उद्घाटन करने के पश्चात केरल के राज्यपाल ने गीता ज्ञान प्रदर्शनी का किया अवलोकन
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राज्यपाल को परमात्मा का स्मृति चिन्ह व शॉल उढ़ाकर सम्मानित किया गया
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आम लोगों को गीता सहजता से समझाने के लिए संस्था के द्वारा गीता ज्ञान प्रदर्शनी बनाई गई जिसका उद्घाटन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रिबन काटकर व दीप प्रज्ज्वलित कर किया
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कृष्ण अर्जुन संवाद के माध्यम से भगवद्गीता का आध्यात्मिक रहस्य बताया गया
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महासम्मेलन में भगवद्गीता के शोधकर्ता व विद्वानों के साथ संत-महात्माओं ने भी लिया भाग
नवयुग टाइम्स, संवादाता, राजस्थान 03/09/22
शांतिवन, आबूरोड। ब्रह्माकुमारी संस्था के शांतिवन परिसर के डायमण्ड हॉल में अखिल भारतीय भगवद्गीता महासम्मेलन का आयोजन किया गया। इस महासम्मेलन में देश के कोने-कोने से पधारे गीता के शोधकर्ता, विद्वान, गीता प्रेमी, देश के प्रसिद्ध संत और महात्माओं के साथ गीता व्याख्याताओं ने भाग लिया। अखिल भारतीय भगवद्गीता महासम्मेलन का उद्घाटन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्द खान, मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी, अतिरिक्त महासचिव ब्रह्माकुमार बृजमोहन भाई, ओआरसी की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा बहन, धार्मिक प्रभाग की अध्यक्षा ब्रह्माकुमारी मनोरमा बहन, धार्मिक प्रभाग के मुख्यालय संयोजक ब्रह्माकुमार रामनाथ, मुलूंड सेवाकेंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी गोदावरी बहन के साथ अनेक अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर महासम्मेलन का उद्घाटन किया। इससे पूर्व केरल के राज्यपाल ने डायमण्ड हॉल में आम लोगों को गीता के रहस्यों को समझने के लिए संस्था के द्वारा बनायी गई गीता प्रदर्शनी का रिबन काटकर और दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। इसके पश्चात उन्होंने गीता के एक-एक रहस्यों को समझा और उनका अवलोकन किया।
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प्राचीन समय में भारत की पहचान ज्ञान और विज्ञान के कारण ही थी…
डायमण्ड हॉल में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्द खान ने कहा भारत की संस्कृति आध्यात्मिकता है और यह इससे ही परिभाषित होती है। दुनिया में भारत की पहचान ज्ञान और विज्ञान के कारण ही थी। हम अपनी स्वर्णिम इतिहास की विरासत को भगवद्गीता के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। गीता में कहा गया है जहां योगेश्वर कृष्ण होंगे अर्थात् जहां ज्ञान, प्रज्ञा होगा वहां आत्मसुख हासिल होगा। योग वह है जो अनेकता में एकता की भावना पैदा कर दें।

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इस देश की संस्कृति की विशेषता है…
आगे उन्होंने कहा हमारी सभ्यता और संस्कृति आत्मा से परिभाषित होती है न कि वेशभूषा, रंग और धर्म से। इंसानों को तो छोड़ो, पेड़-पौधे और जानवरों में भी आत्मा होती है यह बात भारत ने हजारों साल पहले कह दी थी। भारत में सत और मनीषियों को आदर्श माना गया है। भारतीय परम्परा वैदिक काल से ही है। भारत विश्व में सबसे प्राचीन संस्कृति वाला देश है। हम अपनी संस्कृति से बंधे हुए हैं इसलिए हजारां वर्षों की गुलामी और अनेक आक्रमणों के बावजूद भी हम अपनी संस्कृति को सहेजे हुए हैं तो यह इस देश की संस्कृति की विशेषता है।

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अनासक्ति से मोह भंग होता है…
उन्होंने कहा संतो के साथ बैठने से अनासशक्ति पैदा होती है और उससे मोह भंग होता है। मोह भंग होने से निश्चलता आती है। निश्चलता जिसमें आ जाए उसी से तो सारी तपस्या जीवन में होती है। हम किसी भी क्षेत्र में हो सफलता चाहते हैं, विजय चाहते हैं, सम्पन्नता चाहते हैं।



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मधुबन की यह पावन भूमि…
संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कह आप सभी इस महायज्ञ में शामिल होकर परमात्मा के श्रेष्ठ कार्य में सहयोगी बने हैं। मधुबन की यह पावन भूमि परमपिता परमात्मा के अवतरण स्थली है। यहां से अनेकों आत्माओं को जीवन परिवर्तन करने की प्रेरणा मिली है।

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ज्ञान यज्ञ ही अविनाशी रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ है…
संस्था के अतिरिक्त महासचिव ब्रह्माकुमार बृजमोहन भाई ने कहा प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा निराकार परमपिता परमात्मा ने ईश्वरीय विश्व विद्यालय स्थापित किया। इस विश्व विद्यालय से ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी की डिग्री दी जाती है। भगवद्गीता में कहा गया है परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा एक ऐसा यज्ञ रचा जिससे ब्रह्मण उत्पन्न हुए। इसलिए इसका नाम है ब्रह्माकुमार-कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय। परमात्मा ने कहा है सृष्टि के अंत में मैं ऐसा यज्ञ रचता हूं जिसमें देवी-देवता बनने की शिक्षा दी जाती है। परमात्मा के द्वारा रचा हुआ यह ज्ञान यज्ञ ही अविनाशी रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ है।

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गीता के महात्म पर प्रकाश डाला…
कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल को परमात्मा का स्मृति चिन्ह व शॉल ओढा॰कर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व सभी अतिथियों का स्वागत बैज, गुलदस्ता व तिलक देकर किया गया। मधुरवाणी ग्रुप के द्वारा स्वागत व बीके दामिनी बहन के द्वारा गया परमात्मा की महिमा में गया हुआ गीत सभी भाव-विभोर कर दिया। इस महासम्मेलन में देश के नामचीन साधु-संतों व गीता के विद्वानों ने भाग लिया और भगवद्गीता के महात्म पर प्रकाश डाला। गीता में वर्णित कृष्ण अर्जुन के संवाद को नाटिका के माध्यम से दिखाया गया।
