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हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया आध्यात्मिक सम्मेलन का उद्घाटन
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राज्यपाल ने कहा – गांवों को व्यसनमुक्त बनाने के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा देकर नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने का जो कार्य किया जा रहा है उससे निश्चित ही आने वाले समय में बदलाव आएगा
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गांवों को व्यसनमुक्त बनाने में अथक सेवा करने वाले भाई-बहनों को राज्यपाल के द्वारा प्रशस्ति-पत्र भेंटकर किया गया सम्मानित
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मधुबन से पधारे वरिष्ठ राजयोगी बीके प्रकाश भाई ने राज्यपाल को माला व पगड़ी पहनाकर किया अभिवादन
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राज्यपाल को परमात्मा का स्मृति चिन्ह भेंटकर किया सम्मानित
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परमात्मा पर निश्चय और राजयोग मेडिटेशन का नियमित अभ्यास ही हमारे मन-बुद्धि को शांत व स्थिर बनाएगा – बीके प्रकाश
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आध्यात्मिक सम्मेलन में सुन्नी के आस-पास के गांवों से पधारे लगभग 800 लोगों ने कार्यक्रम का लाभ लिया और जीवन में बदलाव लाने का संकल्प लिया
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वरिष्ठ राजयोगी बीके रेवादास भाई ने सुन्नी उप-सेवाकेंद्र द्वारा की जा रही सेवाओं की जानकारी दी

नवयुग टाइम्स, हिमाच प्रदेश 18/09/22
सुन्नी, हिप्र.। ब्रह्माकुमारी संस्था के सुन्नी उप-सेवाकेंद्र द्वारा चतुर्थ वार्षिक आध्यात्मिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसे सम्बोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा देव भूमि के नाम से विख्याल हिमाचल प्रदेश को व्यसन मुक्त बनाने का संस्था के द्वारा जो कार्य किया जा रहा है वह सराहनीय ही नहीं अपितु अनुकरणीय भी है। आगे उन्होंने कहा ब्रह्माकुमारी बहनें सन् 1936 से ही समाज परिवर्तन की दिशा में कार्य कर रही हैं। इन्होंने सुन्नी के आस-पास के लगभग 100 गांवों को व्यसनमुक्त बनाने के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा देकर नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने का जो कार्य किया जा रहा है उससे निश्चित ही आने वाले समय में बदलाव आएगा।



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प्रशस्ति-पत्र भेंटकर किया सम्मानित…
इससे पूर्व राज्यपाल ने संस्था के अनेक विशिष्ट अतिथियों के साथ चतुर्थ आध्यात्मिक सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया और सभी का अभिवादन स्वीकार किया। राज्यपाल का स्वागत ब्रह्माकुमारी बहनों के द्वारा तिलक व गुलदस्ता भेंटकर किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल के द्वारा गांवों को व्यसनमुक्त बनाने में अथक सेवा करने वाले भाई-बहनों को प्रशस्ति-पत्र भेंटकर सम्मानित किया।

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यही भारत स्वर्णिम भारत कहलायेगा – बीके मृत्युंजय


आध्यात्मिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए संस्था के कार्यकारी सचिव ब्रह्माकुमार मृत्युंजय भाई ने `आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ प्रोजेक्ट के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी और कहा कि अब हमें नया भारत बनाने का समय आ गया है। इसके लिए जरूरी है कि सर्वप्रथम हम आध्यात्मिक मूल्यों से संपन्न बनें। जब हम आध्यात्मिक मूल्यों से संपन्न हो जाएंगे तब हमारा यही भारत स्वर्णिम भारत कहलायेगा।

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देश की संस्कृति अध्यात्म का संदेश देती है – बीके रेवादास

वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार रेवादास भाई ने सभा को सम्बोधित करते हुए सुन्नी उप-सेवाकेंद्र द्वारा की जा रही सेवाओं से अवगत कराया और कहा कि हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता को भौतिकता की चकाचौंध में छोड़ना नहीं है। हमारी देश की संस्कृति अध्यात्म का संदेश देती है और आध्यात्मिक मूल्यों से संपन्न व्यक्ति ही देश को एक नई दिशा दे सकता है।
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निमंत्रण देने के साथ राजयोग मेडिटेशन का महत्व बताया…

संस्था के मुख्यालय माउण्ट आबू से पधारे वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार प्रकाश भाई ने राज्यपाल का शब्दों से स्वागत करते हुए राजभवन के पूरे स्टाफ सहित माउण्ट आबू आने का निमंत्रण दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज पूरा देश बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय में परमात्मा पर निश्चय और राजयोग मेडिटेशन का नियमित अभ्यास ही हमारे मन-बुद्धि को शांत व स्थिर बनाएगा।
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समाज के लिए वही शिक्षा उपयोगी है – बीके शिविका


शिक्षा प्रभाग की संयोजिका ब्रह्माकुमारी शिविका बहन ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज के लिए वही शिक्षा उपयोगी जो हमें आध्यात्मिक व नैतिक मूल्यों से संपन्न बनाएं। तभी हम समाज में फैली अनेक बुराईयों को समाप्त कर सकते हैं। इसके पश्चात उन्होंने राजयोग मेडिटेशन के द्वारा गहन शांति की अनुभूति कराई।
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आभार प्रगट करने के साथ राजयोग मेडिटेशन महत्व बताया…

उप-सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी शकुंतला बहन ने सभी अतिथियों का आभार प्रगट करते हुए राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास से होने वाले फायदे को बताया। मंच का कुशल संचालन पंजाब से पधारे वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार सुरेन्द्र भाई ने किया।

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अतिथियों को ईश्वरीय उपहार भेंटकर किया सम्मानित…
कार्यक्रम के अंत में उप-सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी शकुंतला बहन, वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार रेवादास भाई ने सभी अतिथियों को ईश्वरीय उपहार भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के पश्चात सभी अतिथियों ने परमात्मा की स्मृति में बना ईश्वरीय प्रसाद व ब्रह्माभोजन स्वीकार किया।


