हाईलाइट्स –
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परमात्मा हमें उस समय की स्मृति दिला रहा है जब कलियुग की समाप्ति के नगाड़े बजेंगे तो वहीं दूसरी ओर नए युग का स्वागत भी होगा
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जब व्यक्ति सतोप्रधानता की स्टेज पर पहुंचकर जो संकल्प करता है उसके वायब्रेशन आस-पास के प्रकृति, वायुमण्डल, पशु-पक्षी सहित प्रकृति के पांचों तत्वों को भी प्रभावित करता है
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बीते हुए वर्ष ने हमें यह सीखा दिया कि भगवान के सिवा कोई दूसरा सहारा नहीं होता है
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नया युग इस धरा पर आएगा जिसका वर्णन अनेक शास्त्रों में किया गया है
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जब अनेक आत्माएं सृष्टि परिवर्तन का संकल्प करेंगी तो इससे वातावरण के साथ-साथ प्रकृति में भी परिवर्तन आएगा
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संकल्पों के परिवर्तन में राजयोग मेडिटेशन का महत्वपूर्ण योगदान
नवयुग टाइम्स, संवादाता, 01-01-2023
नए युग का स्वागत उसी तरह होगा जिस तरह हम नए वर्ष का स्वागत कर रहे हैं…
पुरे विश्व में एक तरफ 2022 की समाप्ति के नगाड़े बज रहे हैं तो वही दूसरी तरफ नए वर्ष का स्वागत भी किया जा रहा है। साल का यह ऐसा समय होता है जिसे हर व्यक्ति अनुभव करता है। कोविड के दौर से उभर रही दुनिया के लिए यह वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दौर में हमने जीवन के ऐसे-ऐसे अनुभव किए हैं जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। जब हम आने वाले वर्ष में अनेक चुनौतियों का समाना करेंगे तब यही अनुभव हमारी सहायता करेंगे। बीते हुए वर्ष ने हमें तो यह सीखा ही दिया है कि भगवान के सिवा कोई दूसरा सहारा नहीं होता है। खुद का बचाव हमें स्वयं ही करना होता है। परमात्मा हमें उस समय की स्मृति दिला रहा है जब कलियुग की समाप्ति के नगाड़े बजेंगे तो वहीं दूसरी ओर नए युग का स्वागत भी होगा। ठीक उसी तरह जिस तरह आज हम नए वर्ष का स्वागत कर रहे हैं।
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शुभ संकल्पों के साथ नूतन वर्ष का स्वागत किया…
ब्रह्माकुमारी संस्था में नया वर्ष मनाने का तरीका ही कुछ खास होता है जो हर एक के दिल को छू लेता है। शहर की चकाचौंध और कोलाहल की दुनिया से दूर हजारों की संख्या में देश-विदेश के भाई-बहनें नया वर्ष मनाने और प्रभु मिलन करने के लिए शांतिवन पहुंचे। जहां उन्होंने परमात्म-स्मृति में आत्म दीप जलाकर पुराने वर्ष को विदाई दी और विश्व में सुख-शांति की स्थापना के शुभ संकल्पों के साथ नए वर्ष का स्वागत किया। इस दौरान पुरा परिसर ओम शांति की मधुर स्वर से गूंज रहा था। परमपिता परमात्मा शिव के नेतृत्व में जब लाखों की संख्या में आत्माएं विश्व परिवर्तन का संकल्प कर रही हैं तो निश्चय ही परिवर्तन होगा और नया युग इस धरा पर आएगा। जिसका वर्णन अनेक शाðां में किया गया है।
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प्रकृति पुनः सतोप्रधान स्वरूप में वापिस आएगी…
हम सभी जानते हैं कि मानव के हर संकल्पों का प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है। जब अनेक आत्माएं सृष्टि परिवर्तन का संकल्प करेंगी तो इससे वातावरण के साथ-साथ प्रकृति में परिवर्तन आएगा। इस प्रकार प्रकृति पुनः अपने मूल सतोप्रधान स्वरूप में वापस लौट आएगी। संकल्पों के परिवर्तन में राजयोग मेडिटेशन का महत्वपूर्ण योगदान है। जब व्यक्ति सतोप्रधानता की स्टेज पर पहुंचकर जो संकल्प करता है उसके वायब्रेशन आस-पास के प्रकृति, वायुमण्डल, पशु-पक्षी सहित प्रकृति के पांचों तत्वों को भी प्रभावित करता है।
बीके आशुतोष भाई, एडीटर, नवयुग टाइम्स