सुखद जीवन के लिए अकेलापन को एकांत में बदलें

हाइलाइट्स –

  • अकेलापन हमें नकारात्मकता की ओर ले जाता है जबकि एकांत असीम शांति की ओर ले जाता है

  • अकेलापन को एकांत समझ लेना सबसे बड़ी भूल है

  • एकांत में विचार सकारात्मक होते हैं जबकि अकेलापन में विचार नकारात्मक होते हैं जो उसे जीवन के अंधकार की ओर ले जाता है

  • हमें सदा सकारात्मक रहने का प्रयास करना चाहिए और हर परिस्थिति में आशावादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, तभी हम एकांत से होने वाले नुकसान से बच पाएंगे

  • एकांत और अकेलेपन के अंतर को समझना आवश्यक है, इन दोनों के मायने अलग-अलग हैं

अध्यात्म, नवयुग टाइम्स। अक्सर जब भी कोई व्यक्ति कहीं अकेला बैठा होता है तो लोग उसे एकांत समझ लेते हैं। जबकि यह सही नहीं है। इन दोनों के अलग-अलग अर्थ हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन में परेशानियां बढ़ जाती है, समस्याओं को दूर करने का कोई उपाय नहीं मिल रहा होता है, तब वह निराश होने लगता है और स्वयं को अकेला महसूस करने लगता है। और यही अकेलापन से जीवन के अंधकार की ओर ढकेल देता है। जबकि एकांत व्यक्ति को असीम शांति व आनंद की अनुभूति कराता है। उसे अंधकार से ज्योति की ओर ले जाता है। दूसरी ओर जब कोई व्यक्ति स्वयं को अकेला महसूस करने लगता है तो वह तत्काल उस अकेलापन को भरने के लिए कोई उपाय अपनाने लगता है। जिससे कि उसे शांति मिल सके, आनंद मिल सके। इसके लिए वह कोई फिल्म देखने चला जाता है, कोई अखबार पढऩे लगता है या उसे कुछ और समझ में नहीं आता तो वह सोने चला जाता है, भविष्य के सपने देखने लगता है। माना हम अपने अकेलापन को बाहरी चीजों से भरने की कोशिश करने लगते हैं। हम जितना बाहरी चीजों से भरने का प्रयास करते हैं उतना ही हम और निराशा की ओर बढ़ते चले जाते हैं।

  • अकेलेपन से बढ़ते हैं नकारात्मक विचार

इस संबंध में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि जब व्यक्ति को किसी समस्या का समाधान या उपाय नहीं मिलता है जब वह चारों तरफ से निराश हो जाता है। तब ऐसी स्थिति में उसके मन क ा कंट्रोल उसके हाथ में नहीं रहता है। उसके मन में अनेक प्रकार के नकारात्मक विचार चलने लगते हैं। जो उसे गलत रास्ते पर ले जाता है। निराशा से घिरा हुआ व्यक्ति किसी का मार्गदर्शन नहीं कर सकता है। और न ही वह परिवार को सुख दे पाता है।

  • एकांत व्यक्ति को असीम शांति की अनुभूति कराता है

वहीं एकांत व्यक्ति को परमात्मा की ओर मोड़ देता है जिससे वह असीम आनंद, सुख और शांति की अनुभूति करता है। एकांत की स्थिति में व्यक्ति के मन में सृजनात्मक विचारों का प्रवाह चलने लगता है। जिससे व्यक्ति का मन प्रसन्न व प्रफुल्लित रहता है। वह एकांत की स्थिति में ही परमात्मा की स्मृति में ध्यान मग्न हो जाता है। उसे जीवन में सुख और शांति की अनुभूति होने लगती है।

  • अकेलापन के नुकसान से बचें

अकेलापन की स्थिति में मन में नकारात्मक विचार तो आते ही है साथ ही यह लम्बे समय तक रहा तो व्यक्ति बहुत सारी मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है। उसे सदा अनजाना भय सताता रहता है। मन में दूसरों के प्रति गलत भावनाएं जन्म लेने लगती है। इसलिए जीवन में अकेलापन से बचना चाहिए। इसका सबसे सहज उपाय है जब भी मन में नकारात्मक विचार आने लगे तो मन को शांत रखने का प्रयास करना चाहिए और इसका सबसे सहज साधन है आप परमात्मा की स्मृति के कोई गीत या भजन या कोई अच्छे गीत बजाइए। जिससे आपके मन का झूकाव दूसरी तरफ हो जाएगा।
इसलिए अकेलापन को एकांत में बदलना चाहिए। इसके लिए हम मेडिटेशन कर सकते हैं। मंत्र जाप कर सकते हैं, अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं। माना कुल मिलाकर हम ऐसा काम करना चाहिए जिससे हमारी सोच सकारात्मक बन जाए व मन प्रसन्न हो जाए और जीवन में आनंद आ जाए। तभी हम जीवन की सार्थकता को समझ पाएंगे।

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