
हम सभी के लिए यह बहुत ही खुशी की बात है कि हम 15 दिसम्बर 2019 को प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का 143 वां जन्मदिवस मनाने जा रहे हैं। यह दिवस पूरी सृष्टि के मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण दिवस है। प्रजापिता ब्रह्मा को ही शास्त्रों में आदि देव, आदि पिता… आदि नामों से जाना गया है। पूरी मानव सृष्टि का आदि पिता ब्रह्मा को और अलौकिक मात-पिता परमपिता परमात्मा शिव को माना गया है। आत्मिक दृष्टि के नाते परमात्मा शिव की संतान होने के कारण हम सभी आपस में भाई-भाई हैं और इन्हें ही शिव की शक्तियां कहा गया तो वहीं प्रजापिता ब्रह्मा की मुख वंशावली संतान होने के नाते ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी कहा गया। जिनके त्याग व तपस्या के बल के द्वारा ज्ञान व योग की गंगा प्रवाहित कर मनुष्यों को पावन बनाने का कार्य किया जा रहा है। यही वह इस सदी के महापुरूष हैं जिनके तन का आधार लेकर परमात्मा ने नयी सृष्टि की स्थापना का कार्य प्रारंभ किया। जिसे आदि सनातन देवी-देवता धर्म के नाम से जाना गया। बचपन से ही इनके संस्कारों में दिव्यता, सर्व मानव के प्रति प्रेम और स्नेह देखने को मिलता था। इनकी बुद्घि में ज्ञान की इतनी पराकाष्ठा और समझ थी कि वे डिब्बे में बंद हीरे का मूल्य बिना खोले ही बता देते थे। इनके संस्कारों में देवतायी संस्कार सहज ही देखने को मिल जाता था जो इन्हें महान आत्मा बनाने के लिए काफी था। तभी तो परमात्मा ने अपने रथ के रूप में इन्हें चुना और इनके मुख द्वारा ज्ञान की ऐसी सरिता प्रवाहित की जो कि आज से पहले न कभी सुना गया था और ना ही लिखा गया था। परमात्मा ने हर मानव के कल्याण के लिए सत्य ज्ञान दिया। जिस मार्ग पर चलकर लाखों लोगों ने अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाया। ऐसी महान विभूति का जन्मदिवस मनाने का हम सभी को सौभाग्य मिल रहा है यह बहुत बड़े भाग्य की बात है।
लेखक: ब्रह्माकुमारीज मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष हैं।