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हम सबकी यादों में बसी हमारी प्यारी दादी।

हम सबकी यादों में अमर हो गई दादी गुल्जार

हाईलाइट्स :-

  • ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी ह्दयमोहिनी जी ने 11 मार्च 2021 की प्रातः 8:40 में मुम्बई के सैफी हास्पिटल में ली अंतिम श्वांस

  • महाशिवरात्रि के दिन शरीर का त्यागकर कैलाशवासिनी हो गयी दादी जी – भूपेश बघेल

  • दादीजी के निधन की सूचना पर संस्थान के भारत सहित विश्व के 140 देशों में स्थित ब्रह्माकुमारी के सेवाकेंद्रों पर शोक की लहर दौड़ गई

  • दादी ह्दयमोहिनी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति वैकैया नायडू, लोकसभा स्पीकर सहित अनेक केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित अनेक गणमान्य लोगों ने शोक व्यक्त कर दादी जी को दी भावपूर्ण श्रद्धांजली

  • शांतिवन परिसर के कॉन्फ्रेंस हॉल में हजारों लोगों ने नम आंखों से दी दादी जी को भावभीनी श्रद्धांजली

  • एक वर्ष पूर्व ही उन्हें नियुक्त किया गया था ब्रह्माकुमारी संस्था की मुख्य प्रशासिका

  • दादी जी का जन्म अविभाज्य भारत के सिंध प्रांत में सन् 1928 में हुआ था

  • दादी जी 1969 से 2016 तक परमात्मा के संदेशवाहक की भूमिका निभाई

  • नार्थ उड़ीसा विश्वविद्यालय ने सन् 2017 में उन्हें डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि से किया था विभूषित

  • ब्रह्माकुमारी संस्था के द्वारा आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों को किया गया स्थगित

  • दादीजी के अंग-संग रही ब्रह्माकुमारी नीलू बहन ने शेयर की दादी जी की अंतिम क्षणों की मधुर यादें

  • 13 तारीख की प्रातः शांतिवन में किया जाएगा अंतिम संस्कार

  • दादीजी के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे देश-विदेश के मुख्य भाई-बहनें

नवयुग टाइम्स, रिपोर्टर, राजस्थान। 12 मार्च 2021

ऐसी थी हमारी प्यारी मीठी दादी, जिसे परमात्मा ने अपना रथ चुना।

आबू रोड(राजस्थान)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी जी का गुरुवार सुबह 8:40 बजे अपना पुराना शरीर त्याग कर अव्यक्त वतनवासी हो गई। 93 वर्ष की आयु में उन्होंने मुम्बई के सैफी हास्पिटल में अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर एयर एंबुलेंस से गुरुवार शाम को ब्रह्माकुमारी संस्था के मुख्यालय शांतिवन लाया गया। उनके अंतिम दर्शनों के लिए पार्थिव शरीर को शुक्रवार को शांतिवन में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में 13 मार्च को किया जाएगा। दादी जी के निधन पर उपराष्ट्पति से लेकर केंद्रीय मंत्री, लोकसभा स्पीकर सहित अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शोक व्यक्त करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
ब्रह्माकुमारीज के सूचना निदेशक बीके करुणा ने बताया कि राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक नहीं चल रहा था। मुम्बई के सैफी हॉस्पिटल में लम्बे समय से उनका ईलाज चल रहा था। दादीजी की निधन की सूचना पर संस्थान के भारत सहित विश्व के 140 देशों में स्थित सेवाकेन्द्रों पर शोक की लहर दौड़ गई। ब्रह्माकुमारीज मुख्यालय के आगामी कार्यक्रमों को तत्काल स्थगित कर दिया गया है।

  • अंतिम समाचार लिखे जाने तक…

दादी जी के पार्थिव शरीर को ब्रह्माकुमारी संस्था के मुख्यालय शांतिवन परिसर से ज्ञान सरोवर, पांडव भवन, ग्लोबल हॉस्पिटल, म्यूजियम आदि स्थानों पर ले जाया गया है। जहां वहां निवास करने वाले भाई-बहनें अपनी श्रद्धा सुमन दादी जी को अर्पित कर सकेंगे। इसके पश्चात संध्या के समय दादी जी के पार्थिव शरीर को पुनः देश-विदेश के भाई-बहनों के अंतिम दर्शन के लिए शांतिवन लाया जाएगा। 13 तारीख की प्रातः को दादी जी का पार्थिव शरीर पंच तत्वों में विलीन हो जाएगा और दादी जी हम सबकी यादों में सदा के लिए अमर हो जाएगीं।

  • दादी जी के अंतिम क्षणों की मधुर यादें

दादी के अंग-संग रही ब्रह्माकुमारी नीलू बहन।

दादी जी के अंग-संग रही ब्रह्माकुमारी नीलू बहन ने दादी की स्मृति को ताजा करते हुए कहा कि मुझे 1985 से 15 वर्ष की आयु से ही दादीजी के साथ रहने का अवसर मिला। उनके द्वारा ही मुझे परमात्मा शिव बाबा से मिलन मनाने का अवसर प्राप्त हुआ। दादी जी को जब भी समय मिलता था वो ध्यान में मग्न हो जाती थी। अंत समय में दादीजी की अवस्था इतनी पक्की हो गई थी कि उन्हें शरीर का ध्यान ही नहीं रहता था। वो हमेशा शरीर से उपराम अवस्था में ध्यान मग्न रहती थी। डॉक्टर पूछते थे दादी आपको दर्द नहीं होता है तो दादी कहती थी मैं तो शरीर में हूं ही नहीं। बीमारी की अवस्था में भी दादी के चेहरे पर एक शिकन तक दिखाई नहीं देती थी। वे हमेशा खुश रहती थी और सभी को कहती थी कि बाबा को याद करो। इतना सुनते ही हम सब बहनें दादी के सामने योग में बैठ जाती थी। दादी हम सबको मीठी-मीठी दृष्टि देते हुए शरीर के भान से परे कर परमात्मा शिव बाबा की स्मृति में टिका देती थीं। उस समय हम सभी बहनों को दादी से दिव्य शक्ति की अनुभूति होती थी।

  • वर्ष 1928 में कराची में हुआ था जन्म

हम सबकी यादों में समायी दादी।

राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनीजी के बचपन का नाम शोभा था। उनका जन्म वर्ष 1928 में कराची में हुआ था। जब आप 8 वर्ष की थी तब संस्था के साकार संस्थापक ब्रह्मा बाबा द्वारा खोले गए ओम निवास बोर्डिंग स्कूल में आपने दाखिला लिया। यहां आपने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की। स्कूल में बाबा और मम्मा (संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका) के स्नेह, प्यार और दुलार ने इतना प्रभावित किया कि छोटी सी उम्र में ही आपने अपना जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित करने का निश्चय कर लिया। आपकी लौकिक मां भक्ति भाव से परिपूर्ण थीं।

  • सादगी, सरलता और सौम्यता की प्रतिमूर्ति थी दादी जी

हम सबकी यादों में समायी दादी।

दादीजी का पूरा जीवन सादगी, सरलता और सौम्यता की मिसाल रहा। उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी उनका गंभीर व्यक्तित्व। बचपन से ही विशेष योग-साधना के चलते दादी का व्यक्तित्व इतना दिव्य हो गया था कि उनके संपर्क में आने वाले लोगों को उनकी तपस्या और साधना की अनुभूति होती थी। उनके चेहरे पर तेज का आभामंडल उनकी तपस्या की कहानी साफ बयां करता था।

  • 1969 में ब्रह्मा बाबा के निधन के बाद बनीं परमात्म दूत

हम सबकी यादों में समायी दादी।

18 जनवरी 1969 में संस्था के साकार संस्थापक ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के बाद परमात्म आदेशानुसार दादी हृदयमोहिनी जी ने परमात्मा का  संदेशवाहक और दूत बनकर लोगों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और दिव्य प्रेरणा देने की भूमिका निभाई। दादीजी ने 2016 तक संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू में हर वर्ष आने वाले लाखों भाई-बहनें के लिए परमात्मा का दिव्य संदेश देकर योग-तपस्या बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। एक बार चर्चा के दौरान दादीजी ने बताया था कि जब मैं मन की शक्ति से वतन में जाती हूं तो आत्मा तो शरीर में रहती है लेकिन मुझे इस शरीर का भान नहीं रहता है। उस दौरान मेरे द्वारा जो वचन उच्चारित होते हैं वह भी मुझे याद नहीं रहते हैं।

  • 14 साल तक की कठिन साधना

दादी हृदयमोहिनीजी ने 14 वर्ष तक बाबा के सानिध्य में रहकर कठिन योग-साधना की। इन वर्षों में खाने-पीने को छोडक़र दिन-रात योग साधना में लगी रहती थीं। इसके साथ ही बाबा एक-एक सप्ताह का मौन कराते थे। तभी से दादी का स्वभाव बन गया था कि जितना काम हो उतना ही बात करती थीं। अंत समय तक वह ज्यादा तर मौन में रहीं।

  • नॉर्थ उड़ीसा विश्वविद्यालय ने 2017 में प्रदान की डी.लिट की उपाधि

दादीजी को नॉर्थ उड़ीसा विश्वविद्यालय, बारीपाड़ा ने डी. लिट (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) की उपाधि से विभूषित किया। दादी को यह उपाधि प्रभु के संदेशवाहक के रूप में लोगों में आध्यात्मिकता का प्रचार-प्रसार करने और समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान पर प्रदान की गई। संस्था की 80वीं वर्षगांठ पर मुख्यालय माउण्ट आबू, आबू रोड के शांतिवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन एवं सांस्कृतिक महोत्सव में 28 मार्च 2017 को नॉर्थ उड़ीसा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रफुल्ल कुमार मिश्रा ने उन्हें यह उपाधि प्रदान की थी। उन्होंने दादी के कार्यों की सराहना करते हुए इसे गौरव का विषय बताया था। कुलपति मिश्रा ने कहा कि मैं आज यह डिग्री दादी को देते हुए बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। संस्था विश्व शांति, प्रेम, भाईचारा और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में जो कार्य कर रही है वह अनुपम उदाहरण है।

  • मिसाल / अस्वस्थ होने के बावजूद भी बनीं संस्थान की मुख्य प्रशासिका

पिछले साल 27 मार्च 2020 में संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका 104 वर्षीय राजयोगिनी दादी जानकी जी के निधन के बाद आपको संस्थान की मुख्य प्रशासिका नियुक्त किया गया था। अस्वस्थ होने के बाद भी आपने इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी को संभाला और यही कहा कि मैं तो निमित्त मात्र हूं, संभालने वाला तो परमात्मा है। इतनी निश्चयबुदि थी दादी। दादीजी मुंबई से ही संस्थान की गतिविधियों का सारा समाचार लेतीं और समय प्रति समय निर्देशन देती रहीं।

  • इन्होंने भेजा शोक संदेश

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी ह्दयमोहिनी ने आज शरीर का त्याग कर दिया है। परम श्रद्धेय दादी जी को कोटि-कोटि प्रणाम। विनम्र श्रद्धांजली। ओम शांति।

  • कैलाशवासिनी हो गई दादी जी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने शोक संदेश में कहा कि मुझे दुःखद समाचार मिला है कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी ह्दयमोहिनी (जिन्हें सब गुलजार दादी कहते थे) ने आज शरीर का त्याग कर दिया है। महाशिवरात्रि के दिन ही वह कैलाशवासिनी हो गयी हैं। उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम एवं विनम्र श्रद्धांजली। ओम शांति।

  • परम् श्रद्धेय दादी जी को कोटि-कोटि प्रणाम

छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा है – प्रजापिता  ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी ह्दयमोहिनी जी ने शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हो गयी। वे 9 वर्ष की आयु में ब्रह्माकुमारीज से जुड़ी थी। परम् श्रद्धेय दादी जी को कोटि-कोटि प्रणाम। विनम्र श्रद्धांजली। ओम शांति।

  • उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा

राजस्थान के जलदाय एवं ऊर्जा मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने अपने संवेदना संदेश में कहा कि दादी ह्दयमोहिनी दी ने सत्य, प्रेम और अहिंसा का शिव संकल्प लेकर जीवन पर्यंत विश्व में शांति और मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए अपनी अमूल्य भूमिका निभाई। देश और दुनिया को धर्म और अध्यात्म का अनुसरण कर, जीने की नई राह सिखाने में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।

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