धर्मग्रंथों से भी सीखा जा सकता है परिवार में एकता व मधुरता बनाए रखने के गुर

  • रामायण और महाभारत से सीखा जा सकता है कि परिवार में कैसे मधुरता, सामंजस्य और एकता को स्थापित किया जा सकता है

  • आदर्श परिवार का सर्वोत्तम उदाहरण रामायण में देखने को मिलता है

  • परिवार को एकजुट बनाए रखने के लिए त्याग की भावना महाभारत से सीखने को मिलती है

  • घर का सबसे बड़ा व्यक्ति किसी लाइन में खड़े पहले व्यक्ति की तरह होता है। वह जैसे खड़ा होता है, बाकी लोग वैसे ही खड़े हो जाते हैं

  • परिवार में एकता और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी है कि हम अपनी पढ़ाई के साथ-साथ धर्म ग्रंथों का भी अध्ययन करें

  • आने वाली पीढ़ी को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ धर्मग्रंथ और शास्त्रों की भी शिक्षा दी जानी चाहिए

  • धर्मग्रंथों के मर्म को समझकर भी परिवार को एकजुट बनाए रखा जा सकता है

अध्यात्म/नई राहें। हमारे देश में अनेक ऐसे धर्मग्रंथ हैं जो हमें परिवार को एकजुट बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। लेकिन आज की युवा पीढ़ी भौतिकता की चकाचैंध में अपने मूलभुत शास्त्रों से दूर होती जा रही है। जिसका परिणाम हमें परिवार में कलह-क्लेश व बिखराव के रूप में देखने को मिल रही है। इससे न सिर्फ परिवार टूट रहे हैं बल्कि मानव सुख-शांति से भी दूर होता जा रहा है। आज हमें बहुत ही गहराई से यह सोचना होगा कि परिवार में सबकुछ होते हुए भी परिवार क्यों बिखर रहे हैं, आपसी स्नेह और मधुर रिश्ते कहां चले गए। परिवार में आपसी प्यार, स्नेह, मधुरता, सामंजस्य और एकता कैसे बना रहे ये बातें महाभारत और रामायण से भी सीखी जा सकती है। महाभारत में अभिमन्यु का चक्रव्यूह में जाना ये बताता है कि परिवार को बचाने के लिए कैसी भावना होनी चाहिए। रामायण में अपनी बात रखने की आजादी देना और राजा दशरथ के चले जाने के बाद श्रीराम का जिम्मेदारी निभाना एक आदर्श परिवार का उदाहरण है। अगर हम इन धर्मग्रंथों के मर्म को समझें तो छोटी-छोटी बातों से सीखकर परिवार को एकजुट रखा जा सकता है।

  • खुद से पहले परिवार का हित सोचें

परिवार में आजकल कई लोग ऐसे हैं जो खुद का फायदा पहले सोचते हैं और परिवार का बाद में। हमारी इसी सोच के कारण परिवार में झगड़े बढ़ रहें हैं और परिवार टूटता जा रहा है। अगर परिवार का कोई सदस्य अपने फायदे से पहले परिवार का फायदा सोचता है तो इससे घर के बाकी लोगों के सोचने का नजरिया सकारात्मक हो जाता है। इसी संबंध में महाभारत में लिखा गया है कि जब द्रोणाचार्य चक्रव्यूह की रचना करते हैं तो उसे तोड़ने के लिए अभिमन्यु अकेला ही प्रवेश कर जाता है। अभिमन्यु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि यदि चक्रव्यूह को नहीं तोड़ा गया तो इससे पाण्डवों की हार निश्चित है। ऐसी परिस्थिति में अभिमन्यु अपनी जान की परवाह न करते हुए, परिवार के हित के लिए चक्रव्यूह में प्रवेश कर जाता है और अपना बलिदान कर देता है।

  • परिवार में दूरियां तभी बढ़ती है…

देखने में आता है कि परिवार में दूरियां तभी बढ़ती है जब हम दूसरे की उपेक्षा करते हैं या किसी को अपनी बात रखने से रोका जाता है। ऐसे हालात आगे चलकर किसी बड़ी समस्या की वजह बन जाते हैं। इसलिए परिवार में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने की स्वतंत्रा होनी चाहिए।
इस बात को रामायण से अच्छी तरह से सीखा जा सकता है कि राम जब वनवास जा रहे थे, तो हो सकता है कि लक्ष्मण गुस्से से शत्रुधन और भरत को अलग कर देते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राम ने अपने सभी भाईयों को अपनी बात रखने की स्वतंत्रा दी जो यह बताता है कि परिवार में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का हक है।

  • परिवार के मुखिया का सर्वोत्तम उदाहरण

घर का मुखिया सिर्फ घर को नहीं चलाता है, बल्कि उसके कामों पर ही परिवार का आने वाला कल टिका होता है। घर का सबसे बड़ा व्यक्ति किसी लाइन में खड़े पहले आदमी की तरह होता है। वह जैसे खड़ा होता है, बाकी लोग वैसे ही खड़े हो जाते हैं। परिवार चलाना भी ऐसा ही काम है। रामायण में हम देखते हैं कि राजा दशरथ की मृत्यु के बाद श्रीराम ने परिवार की जिम्मेवारी संभाली। जो कि परिवार के मुखिया का सर्वोत्तम उदाहरण है। वनवास के दौरान श्रीराम ने भरत को धर्म के अनुसार राज्य चलाने के लिए प्रेरित किया और शत्रुधन को भी भरत की आज्ञा मानने के लिए कहा। वनवास से लौटने के बाद श्रीराम ने अपने सभी भाइयों को अलग-अलग राज्य स्थापित करवाया ताकि आने वाले दिनों में किसी के मन में असुरक्षा की भावना पैदा न हो। हमने रामायण में देखा कि लक्ष्मण, भरत व शत्रुधन ने भी श्रीराम को ही अपना आदर्श मानकर अपने-अपने राज्यों में रामराज्य की स्थापना की। जो कि परिवार को एकजुट रखने का सर्वोत्तम उदाहरण है।
इस तरह हम देखते हैं कि रामायण और महाभारत से भी शिक्षा लेकर परिवार में मधुरता, एकता व शांति को बनाए रखा जा सकता है। परिवार में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने की स्वतंत्रा हो, उस पर किसी की मर्जी थोपी न जाएं तो परिवार को हम लम्बे समय तक एकजुट बनाए रख सकते हैं।

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